Supreme Court on VVPAT Verification: शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने VVPAT वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी गई है।
कोर्ट के इस फैसले से EVM के जरिए डाले गए वोट की VVPAT की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहमति से दिया है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
Supreme Court ने अहम फैसले में साफ कर दिया है कि मतदान EVM मशीन से ही होगा. EVM-VVPAT का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रहेगी। ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेगी।
कोर्ट का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित किया जाए. यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा।
यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि VVPAT Verification का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। अगर किसी स्थिति में EVM में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस दिया जाएगा।
इस दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करने से संदेह ही पैदा होता है। लोकतंत्र का मतलब ही विश्वास और सौहार्द बनाए रखना है।
बता दें कि मार्च 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 100 फीसदी EVM वोटों और VVPAT की पर्चियों का मिलान करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. इसी पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने फैसला दिया।
मौजूदा समय में VVPAT वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों के EVM वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है। इस महीने की शुरुआत में Supreme Court ने चुनाव में सिर्फ पांच रैंडमली रूप से चयनित EVM को सत्यापित करने के बजाय सभी EVM वोट और VVPAT पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर ECI को नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोला चुनाव आयोग?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है। चुनाव आयोग ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब किसी को शक नहीं रहना चाहिए। अब पुराने सवाल खत्म हो जाने चाहिए। सवालों के वोटर के मन में शक होता है। चुनाव सुधार भविष्य में भी जारी रहेगा।
ये VVPAT क्या है?
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में VVPAT यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें डिजाइन की थीं. ये दोनों वही सरकारी कंपनियां हैं, जो EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी बनाती हैं।
VVPAT मशीनों का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 के नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ था. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भी इस मशीन को लगाया गया. बाद में 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में भी इनका इस्तेमाल हुआ।
2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार VVPAT मशीनों का इस्तेमाल देशभर में किया गया. उस चुनाव में 17.3 लाख से ज्यादा VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया गया था।
कैसे काम करती है ये?
वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए VVPAT को लाया गया था. ये मशीन EVM से कनेक्ट रहती है। जैसे ही वोटर वोट डालता है, वैसे ही एक पर्ची निकलती है।
इस पर्ची में उस कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है, जिसे उसने वोट दिया होता है।
VVPAT की स्क्रीन पर ये पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देती है. ऐसा इसलिए ताकि वोटर देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है। 7 सेकंड बाद ये पर्ची VVPAT के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।