Supreme Court rejected Azam Khan’s petition: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता Azam Khan को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी जिसमें रामपुर में जौहर स्कूल के लिए आवंटित जमीन के पट्टे को रद्द कर दिया गया था और उत्तर प्रदेश सरकार को भूमि अधिग्रहण की इजाजत दे दी गई थी।
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। इससे पहले याचिकाकर्ता आजम खान की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे थे।
Supreme Court में जिरह के दौरान उन्होंने कहा कि अभी स्कूल में 300 बच्चे पढ़ रहे हैं, लिहाजा उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट आदेश पर रोक लगाया जाए और प्रदेश सरकार के फैसले को रद्द किया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा वाली पीठ ने यूपी सरकार को ये आदेश दिया कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करें वहां पढ़ रहे करीब 300 छात्रों का दाखिला दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में हो सके।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट’ के अध्यक्ष हैं आजम खान
दरअसल, हाईकोर्ट ने रामपुर में ‘मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट’ (Maulana Mohammad Ali Jauhar Trust) को सरकारी जमीन का पट्टा मामले में सपा नेता खिलाफ फैसला सुनाया था।
‘मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट’ की कार्यकारिणी समिति की तरफ से हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसको रद्द कर दिया गया। आजम खान ‘मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट’ के अध्यक्ष हैं।
बता दें कि इससे पहले 28 अगस्त को आजम खान को एक अन्य मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। उनको 2019 में आचार संहिता उल्लंघन मामले (Code of Conduct violation cases) में MP-MLA कोर्ट ने बरी कर दिया था सबूतों के अभाव के चलते उन पर आचार संहिता का उल्लंघन नहीं पाया गया और वो इस केस से दोषमुक्त हो गए थे।