Cases of removal of Religious structures : मंगलवार को Supreme Court ने सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक ढांचों को हटाने के मामलों में सावधानी बरतने की बात कही है।
बुलडोजर केस (Bulldozer case) की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि यदि कोई धार्मिक संरचना सड़क, फुटपाथ, जल निकासी, या रेलवे लाइन के क्षेत्र में है और सार्वजनिक अवरोध बनती है, तो उसे हटाना अनिवार्य है।
जस्टिस गवई ने स्पष्ट किया कि तोड़फोड़ सिर्फ इसलिए नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है। कोर्ट ने कहा कि तोड़फोड़ के आदेश पारित करने से पहले उचित समय दिया जाना चाहिए।
अतीत की घटनाओं पर ध्यान देने के बजाय भविष्य के लिए ठोस नियम बनाएं
जस्टिस गवई ने बताया कि हर साल 4-5 लाख डिमोलिशन की कार्रवाइयां होती हैं और पिछले कुछ सालों में यही आंकड़ा रहा है।
जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि चाहे वह मंदिर हो, दरगाह हो या कोई अन्य धार्मिक स्थल, अगर यह सार्वजनिक सुरक्षा में बाधा डालता है और पब्लिक प्लेस पर है, तो इसे हटाना जरूरी है।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर दो अवैध ढांचे हैं और सिर्फ एक पर कार्रवाई की जाती है, तो यह भेदभाव का सवाल उठाता है।
जमीयत के वकील अभिषेक Manu Singhvi ने कोर्ट से आग्रह किया कि अतीत की घटनाओं पर ध्यान देने के बजाय भविष्य के लिए ठोस नियम बनाएं। जस्टिस विश्वनाथन ने सुझाव दिया कि न्यायिक निरीक्षण के माध्यम से इस समस्या का समाधान खोजा जा सकता है और अदालत सामान्य कानून बनाने पर विचार कर सकती है।