Supreme Court in Mock Poll: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में EVM के डाटा से VVPAT पर्चियों के मिलान की मांग पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को निर्वाचन आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया कि वो केरल के कासरगोड में मॉक पोल के दौरान EVM में BJP के पक्ष में अतिरिक्त वोट मिलने की शिकायतों की जांच करे।
इस मामले पर Supreme Court में सुनवाई जारी है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच लंच के बाद फिर सुनवाई करेगी।
दरअसल, सुनवाई के दौरान NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि मॉक पोल के दौरान कासरगोड में एक अतिरिक्त वोट BJP के पक्ष में पाया गया था। तब कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि वे बताएं कि VVPAT की प्रक्रिया क्या है। टेंपरिंग न हो इसके लिए क्या मेकानिज्म है।
कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर किसी तरह की आशंका नहीं रहनी चाहिए कि उसमें कोई छेड़छाड़ की जा सकती है। यह प्रक्रिया पवित्र होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया कि VVPAT पर्ची काउंटिंग के लिए उपयुक्त नहीं है। पेपर बहुत पतला और चिपचिपा होता है। इसे काउंटिंग के उद्देश्य से डिजाइन नहीं किया गया है।
तब Supreme Court ने पूछा कि क्या बैलेट यूनिट और VVPAT पर्चियों में संग्रहित डेटा के बीच बेमेल होने का कोई मामला है। तब निर्वाचन आयोग ने कहा कि अब तक ऐसा एक भी मामला नहीं मिला।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT पर्ची बैलट बॉक्स में डाले!
जस्टिस खन्ना ने इस पर सवाल किया कि वोटर के निजता का क्या होगा। इससे तो पता चल जायेगा कि उसने वोट किसको दिया तब वकील निजाम पाशा ने कहा कि वोटर की निजता से अधिक जरूरी है उसका मत देने का अधिकार।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि कम से कम यह व्यवस्था होनी चाहिए कि VVPAT वाले बॉक्स की लाइट हमेशा जलती रहे। इससे वोटर यह देख सकेगा कि कब पर्ची कट रही है और कैसे ड्रॉप हो रही है। इससे वोटर की निजता भी प्रभावित नहीं होगी।
16 अप्रैल को प्रशांत भूषण ने कहा था कि EVM से छेड़छाड़ किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि VVPAT पर्चियों की भी गिनती होनी चाहिए। इसके लिए VVPAT पर्चियों को मतदाता के हाथ में देकर बैलेट बॉक्स में डालने देना चाहिए
सुनवाई के दौरान वकील संजय हेगड़े ने मांग की थी कि EVM पर पड़े वोटों का मिलान VVPAT पर्चियों से किया जाना चाहिए। तब जस्टिस खन्ना ने पूछा था कि क्या VVPAT के सभी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि VVPAT के सभी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे।
उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल को जस्टिस BR गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी VVPAT पर्चियों का मिलान करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था।
याचिका NGO Association for Democratic Reforms ने दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि सभी VVPAT पर्चियों का मिलान किया जाए। वर्तमान में ये प्रैक्टिस है कि एक विधानसभा क्षेत्र में पांच EVM के VVPAT पर्चियों के ही मिलान किया जाता है।