दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट को तीन कृषि कानूनों के संचालन पर रोक लगानी चाहिए और इन कानूनों की संवैधानिकता पर सुनवाई करनी चाहिए, क्योंकि इसका देश की 65 प्रतिशत आबादी पर प्रभाव पड़ता है।
फोन पर आईएएनएस से बात करते हुए, कांग्रेस के लोकसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट को इन कृषि कानूनों के संचालन पर रोक लगानी चाहिए और इन कानूनों की संवैधानिकता पर दैनिक आधार पर सुनवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसा करना चाहिए, क्योंकि इससे देश की 65 प्रतिशत आबादी प्रभावित होती है।
नए कृषि कानूनों के साथ ही दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर सरकार ने इन कृषि कानूनों पर रोक नहीं लगाई तो अदालत कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा देगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अगर केंद्र ऐसा नहीं करता है तो हम इसके अमल पर रोक लगा देंगे।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेता ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी ट्विटर पर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों और सुनवाई ने आज भाजपा सरकार को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।
वहीं शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, देश ने देखा कि किस तरह अध्यादेश के माध्यम से कृषि कानूनों को लाया गया और किस तरह से इन्हें लोकसभा में भी लाया गया।
शिवसेना नेता ने आरोप लगाया कि सरकार ने राज्यसभा सदस्यों को समय ही नहीं दिया और जल्दबाजी में कानूनों को लाया गया। उन्होंने केंद्र पर किसानों को खाली वादे करने के लिए निशाना भी साधा।
इससे पहले दिन में याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अगर केंद्र ऐसा नहीं करता (कानूनों पर रोक) है तो हम इसके कार्यान्वयन पर रोक लगा देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह विरोध पर रोक नहीं लगा रहा और विरोध जारी रह सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या विरोध प्रदर्शन को उसी जगह पर आयोजित किया जाना चाहिए या लोगों की निर्बाध गतिविधि के लिए कहीं और शिफ्ट किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह कृषि कानूनों की जांच के लिए एक समिति बनाने की बात दोहरा रही है। शीष अदालत ने कहा, तब तक अदालत कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा सकती है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम चाहते हैं कि माहौल अनुकूल हो, कानूनों को होल्ड पर रखें और समिति के पास जाएं।
अदालत ने कहा कि यह आशंका है कि विरोध स्थल पर जानबूझकर या अनजाने में हिंसा हो सकती है।
प्रधान न्यायधीश एस. ए. बोबडे ने कहा, हम अपने हाथ खून से नहीं रंगना चाहते हैं।