नई दिल्ली: 2003 में एक जेलर (Jailer) को धमकी (Threat) देने और उस पर पिस्तौल (Pistol) तानने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें यूपी के पूर्व MLA मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को दोषी ठहराया गया था और सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद हैं।
UP सरकार ने किया नोटिस जारी
जस्टिस (Justice) बी.आर. गवई और विक्रम नाथ की बेंच (Bench) ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और UP सरकार को नोटिस जारी किया।
गैंगस्टर-राजनेता अंसारी ने High Court द्वारा उसे दोषी ठहराए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील (Appeal) दायर की थी।
हाईकोर्ट (HC) ने पिछले साल सितंबर में अंसारी को इस मामले में बरी करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था।
कोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने जेलर के सबूतों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया था और केवल उसकी जिरह पर विचार किया था। उन्होंने अंसारी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 353, 504 और 506 के तहत दोषी पाया था।
हाईकोर्ट ने धारा 353 के तहत अपराध (Crime) के लिए अंसारी को दो साल के सश्रम कारावास (Rigorous Imprisonment) और 10,000 रुपये का जुर्माना और धारा 504 के तहत अपराध के लिए दो साल की जेल और 2,000 रुपये का जुर्माना और धारा 506 के तहत अपराध के लिए सात साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना (Fine) लगाया था।
जेलर ने यह भी दावा किया कि अंसारी ने उस पर Pistol तान थी
ट्रायल कोर्ट (Trial Court) का ²ष्टिकोण स्पष्ट रूप से गलत था और ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित निर्णय और आदेश अस्थिर था।
2003 में, Lucknow जिला जेल के जेलर ने एक FIR दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी का आदेश देने के लिए उन्हें धमकी दी गई थी।
जेलर ने यह भी दावा किया कि अंसारी ने उस पर Pistol तान दी थी। निचली अदालत द्वारा अंसारी को बरी किये जाने के बाद राज्य सरकार ने उच्च Court का रूख किया था।