नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्ती बरतते हुए देश विरोधी ट्वीट और फेक न्यूज को लेकर भाजपा नेता की याचिका पर केंद्र, ट्विटर और अन्य को नोटिस भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता विनीत गोयनका की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये नोटिस भेजे हैं।
याचिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से ट्विटर पर भारत-विरोधी और देशद्रोही पोस्टों की जांच करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई।
केंद्र सरकार ने ट्विटर के अधिकारियों के साथ बैठक में किसान आंदोलन को लेकर फर्जी और भ्रामक सूचना फैलाने वाले अकाउंट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है।
खालिस्तान और पाकिस्तान से संबंधित 1178 अकाउंट बंद करने का आदेश देने के बाद केंद्र और ट्विटर के बीच टकराव बढ़ गया है।
सरकार ने दी थी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर के खिलाफ कहा कि भारत के कानून के हिसाब से चलना होगा। सोशल मीडिया से अफवाह फैलाने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि आज इस सदन के पटल से चाहे वह ट्विटर हो, फेसबुक हो, चाहे वह लिंक्डइन हो या कोई हो या वाट्स एप हो, मैं विनम्रता से आग्रह करूंगा भारत में आप काम करिए।
आपके करोड़ों फॉलोअर्स हैं, हम उसका सम्मान करते हैं, पैसे कमाइए, लेकिन भारत के संविधान का आपको पालन करना होगा।
भारतीय कानून का हर हाल में पालन करना होगा, ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हिंसा भड़काने और भ्रामक जानकारी फैलाने का किसी को अधिकार नहीं दिया जाएगा।
ट्विटर ने दबाव में आकर ब्लॉक किए अकाउंट
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने विवादित 97 फीसदी अकाउंट्स ब्लॉक कर दिए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘भड़काऊ कंटेंट’ से संबंधित पोस्ट करने वाले कई अकाउंट्स को ब्लॉक करने की मांग की थी।
ये वो खाते हैं, जो ‘किसान जनसंहार’ जैसे हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे थे।
इससे पहले ट्विटर ने कहा था कि सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और मीडिया के अकाउंट को बंद नहीं किया क्योंकि ऐसा करने से देश के कानून के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा।