नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की ओर से अति पिछड़ा वर्ग को दिए गए बीस फीसदी आरक्षण में से वनियर जाति को साढ़े दस फीसदी आरक्षण देने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।
कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ऐसा कोई आंकड़ा नहीं पेश कर सकी जिससे ये पता चले कि वनियर जाति अति पिछड़ी जातियों में अलग समूह बनाते जाने लायक है।
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
ऐसे में तमिलनाडु सरकार का आदेश संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।
बता दें कि 1 नवंबर 2021 को मद्रास हाईकोर्ट ने वनियर जाति को अति पिछड़ी जातियों के लिए बीस फीसदी आरक्षण में से साढ़े दस फीसदी आरक्षण देने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया था।
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।