Manipulation in Shares of Adani Group: Supreme court में एक याचिका दायर कर तीन जनवरी के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है, जिसमें उसने अडाणी समूह (Adani Group) द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी के आरोपों की जांच विशेष जांच दल (SIT) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने CBI या SIT जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था और अपने फैसले में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) आरोपों की ‘व्यापक जांच’ कर रहा है और उसका तरीका ‘विश्वास को प्रेरित करने वाला है’।
फैसले में ‘‘गलतियां और त्रुटियां’’ थीं
याचिका में दावा किया गया है कि फैसले में ‘‘गलतियां और त्रुटियां’’ थीं और याचिकाकर्ता के वकील को प्राप्त कुछ नये तथ्यों की पृष्ठभूमि में फैसले पर पुनर्विचार के लिए पर्याप्त कारण हैं।
पुनर्विचार याचिका अनामिका जायसवाल द्वारा दायर की गई है, जो मामले की याचिकाकर्ताओं में से एक थीं।
अधिवक्ता (Advocate) नेहा राठी के माध्यम से याचिका दायर की गयी है। पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि सेबी ने अपनी Report में आरोपों के मद्देनजर शुरू की गयी 24 जांचों की स्थिति के बारे में अदालत को केवल अद्यतन जानकारी दी है, भले ही जांच पूरी हुई हों या अधूरी रही हों, लेकिन उसने किसी भी निष्कर्ष या की गई कार्रवाई के विवरण का खुलासा नहीं किया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘जब तक सेबी जांच के निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किए जाते, तब तक यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि कोई नियामक विफलता नहीं हुई है।’’
शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा था कि SEBI ने उन 24 मामलों में से 22 में अपनी जांच पूरी कर ली है, जहां अडाणी समूह के खिलाफ आरोप लगाए गए थे।
शीर्ष अदालत ने अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्य में हेरफेर करने के आरोपों से संबंधित ‘अडाणी-हिंडनबर्ग रिसर्च’ विवाद को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया था।