नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को लखीमपुर खीरी केस की जांच की प्रगति को लेकर चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने नाराजगी व्यक्त की। बेंच ने कहा कि जांच हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने केवल एक आरोपित का मोबाइल जब्त करने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि क्या बाकी आरोपित मोबाइल इस्तेमाल नहीं करते। कोर्ट ने संकेत दिया कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत सिंह या जस्टिस राकेश कुमार को जांच का जिम्मा दिया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम किसानों, पत्रकार और पार्टी कार्यकर्ता की हत्या सहित तीनों मामलों में निष्पक्ष जांच चाहते हैं। सुनवाई के दौरान घटना में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता श्याम सुंदर की पत्नी के वकील ने कहा कि हमारे केस की सीबीआई जांच हो।
हमें पुलिस पर भरोसा नहीं है। तस्वीर देखिए, पुलिस हिरासत में जाने तक वह जीवित थे। यूपी पुलिस की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पुलिस ने उन्हें भीड़ से बचाने की कोशिश की थी, मगर बचा नहीं सकी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें लगता है कि एसआईटी तीनों मामलों में अंतर नहीं कर पा रही है। हम किसी दूसरे हाई कोर्ट के पूर्व जज को निगरानी का जिम्मा देना चाहते हैं।
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत सिंह या जस्टिस राकेश कुमार को जिम्मा दिया जा सकता है। वह देखेंगे कि तीनों केस में चार्जशीट दाखिल हो।
कोर्ट ने 26 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
कोर्ट ने कहा था कि मृतक श्याम सुंदर और पत्रकार की मौत पर राज्य सरकार स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान तेजी से दर्ज किए जाएं।
उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दर्ज एफआईआर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा को आरोपित बनाया गया है। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उसकी गाड़ी से कुचलकर चार लोगों की मौत हो गई।