नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेना में वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लागू करने के केंद्र सरकार के तरीके को सही ठहराया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने 23 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
23 फरवरी को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि 17 फरवरी 2014 को वित्त मंत्री का दिया गया भाषण केंद्रीय कैबिनेट की अनुशंसाओं के आधार पर नहीं था।
केंद्र सरकार ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन लाते समय एक रैंक और एक सेवा अवधि वाले किसी भी सैन्यकर्मी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है।
केंद्र का कहना था कि याचिकाकर्ता केवल रैंक के आधार पर पेंशन की मांग कर रहे हैं जबकि सेवा अवधि को वे नजरअंदाज कर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले पर 15 फरवरी से सुनवाई शुरू की थी।
याचिका इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि संसद में वादा करने के बावजूद वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार वन टाइम वन पेंशन की बजाए वन टाइम डिफरेंट पेंशन प्रस्तावित कर रही है। इस स्कीम से पुराने पेंशनर अपने जूनियर एक्ससर्विसमैन से कम पेंशन पाएंगे।
याचिका में कहा गया था कि केंद्र की बनाई वन रैंक वन पेंशन स्कीम कोशियारी कमेटी की सिफारिशों पर आधारित नहीं है। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार की वन रैंक वन पेंशन को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे।