नई दिल्ली: Supreme Court ने बिना लाइसेंस (License) वाले हथियारों से निपटने के मामले पर केंद्र (Center), सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
जस्टिस KM जोसेफ (KM Joseph) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये मामला काफी गंभीर है और ये नागरिकों (Citizens) के जीवन के अधिकार को प्रभावित करता है। मामले की अगली सुनवाई (Next Hearing) तीन हफ्ते बाद होगी।
केंद्र शासित प्रदेशों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया
आज सुनवाई (Hearing) के दौरान इस मामले में कोर्ट की मदद करने के लिए नियुक्त एमिकस क्युरी वकील S. Nagamuthu ने कहा कि इस मामले में सभी राज्य सरकारों से फीडबैक (Feedback) लेने की जरूरत है क्योंकि ये एक राष्ट्रीय मसला है।
जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
13 फरवरी को कोर्ट ने बढ़ते गन कल्चर पर चिंता जताई
21 मार्च को कोर्ट ने इस मामले पर वकील एस. नागमुथु को एमिस क्युरी नियुक्त किया था। कोर्ट ने बिहार (Bihar), पंजाब, हरियाणा समेत दूसरे राज्यों को भी पक्षकार बनाया था। 13 फरवरी को कोर्ट ने बढ़ते गन कल्चर पर चिंता जताई थी।
कोर्ट ने बिना लाइसेंस (License) वाले हथियार के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए UP सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। कोर्ट ने UP सरकार से आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत कार्रवाई का ब्यौरा मांगा था।
कोर्ट ने कहा था कि हमारे सामने कई मामले आए
कोर्ट ने कहा था कि अमेरिका में हथियार रखना मौलिक अधिकार है लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है। कोर्ट ने UP में हत्या के एक आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था।
कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन के मुताबिक बिना लाइसेंस वाली बंदूक का इस्तेमाल किया गया और भारतीय दंड संहिता की धारा-302 और 307 के तहत FIR दर्ज किया गया। कोर्ट ने कहा था कि हमारे सामने कई मामले आए हैं। बिना लाइसेंस वाले हथियारों की ये घटनाएं और प्रवृति काफी परेशान करने वाली है।
अमेरिका में हथियार रखना मौलिक अधिकार
कोर्ट ने कहा था कि अमेरिका के विपरीत भारत (India) में किसी को भी हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है, जब तक कि वो अधिकृत नहीं हो। अमेरिका में हथियार रखना मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) है लेकिन हमारे संविधान में ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है।
कोर्ट ने कहा था कि अगर इस मसले को ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो यह कानून (Law) के शासन के लिए बड़ा झटका होगा। सुनवाई के दौरान जस्टिस BV नागरत्ना ने कहा था कि चाकू और बंदूक का इस्तेमाल करना सामंती मानसिकता है।