Gladiator Fighting Surrender Option: ग्लेडिएटर फाइट (Gladiator Fight) में क्या वाकई ग्लेडिएटर्स को मौत तक लड़ना पड़ता था। इसका उत्तर है जी नहीं, ग्लेडिएटर फाइट में आत्मसमर्पण का विकल्प भी होता था।
University of California के शोधकर्ता अल्फोंसो मानस ने ग्लेडिएटर्स के इतिहास पर व्यापक रिसर्च किया है। उनका कहना है कि कई बार लड़ाइयों में ग्लेडिएटर की मौत होती थी, लेकिन यह हमेशा सच नहीं था।
27 ईसा पूर्व के बाद ग्लेडिएटर खेलों में हुआ सुधार
मानस बताते हैं कि शुरुआती ग्लेडिएटर लड़ाइयों का अंत अक्सर एक या दोनों सेनानियों की मृत्यु के साथ होता था। हालांकि, 27 ईसा पूर्व के बाद से ग्लेडिएटर खेलों में सुधार हुआ, जिससे मौतें कम होने लगीं।
सम्राट ऑगस्टस और टिबेरियस (Augustus and Tiberius) के शासनकाल के दौरान ये सुधार लागू हुए। पहली शताब्दी ईस्वी में पोम्पेई की दीवारों पर चित्रित लड़ाइयों के परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि पांच लड़ाइयों में से केवल एक का अंत मौत के साथ होता था।
ढाल गिराकर और सिर झुकाकर आत्मसमर्पण
मानस के शोध में मिले सबूत यह दर्शाते हैं कि नियमों में बदलाव के बाद, एक ग्लेडिएटर अपनी ढाल गिराकर और सिर झुकाकर आत्मसमर्पण कर सकता था।
इस दौरान एक रेफरी होता था, जो नियमों का पालन सुनिश्चित करता था। अगर एक ग्लेडिएटर गंभीर रूप से घायल हो जाता, तो रेफरी लड़ाई रोक सकता था, और हार मानने वाले को मैदान से बाहर निकलने की अनुमति दी जाती थी।
द ओपन यूनिवर्सिटी की वर्जीनिया कैंपबेल (Virginia Campbell) के अनुसार, ग्लेडिएटर्स को उनके मालिकों से किराए पर लिया जाता था, और कुछ अनुबंधों के सबूत यह दर्शाते हैं कि गंभीर रूप से घायल ग्लेडिएटर को लौटाया जाता था। इसके अलावा, कुछ कैदी जो अप्रशिक्षित होते थे, उन्हें जंगली जानवरों द्वारा खाए जाने की सजा सुनाई जाती थी।
बहुत पहले मौत तक होती थी लड़ाई
इस प्रकार, ग्लेडिएटरों की लड़ाई (Battle of Gladiators) में आत्मसमर्पण और नियमों का पालन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, जिससे यह धारणा बदलती है कि ये हमेशा मौत तक लड़ते थे।
बता दें कि रोमन ग्लेडिएटर्स की लड़ाइयों की कहानियां सदियों से सुनी जाती रही हैं, जिसमें यह धारणा आम है कि ये लड़ाइयान तब तक समाप्त नहीं होती थीं, जब तक कि एक Fighter की मौत न हो जाए। इस विचार को फिल्मों और टीवी ने भी बढ़ावा दिया है, जैसे 2000 में आई फिल्म ग्लेडिएटर।