नरसिंहपुर: स्वामी सदानंद सरस्वती (Swami Sadanand Saraswati) को गुजरात स्थित द्वारका शारदा पीठ का नया शंकराचार्य बनाया गया है, जबकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को उत्तराखंड स्थित ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य बनाया गया है।
अब तक जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) इन दोनों पीठों के शंकराचार्य थे, लेकिन रविवार को उनके निधन से इन दोनों पीठों में शंकराचार्य के पद रिक्त हो गये।
दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निजी सचिव ब्रम्हचारी सुबोद्धानंद महाराज ने सोमवार को यहां यह घोषणा की।
उन्होंने कहा, ‘‘शारदा पीठ के नये शंकराचार्य दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती और ज्योतिष पीठ के नये शंकराचार्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती होंगे।’
उन्होंने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की इच्छा थी कि उनके इन दोनों श्रेष्ठ शिष्यों को दोनों पीठों की जिम्मेदारी दी जाएगी। यह इच्छा उन्होंने हमसे अपने अंतिम समय में भी व्यक्त की थी।
तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर के परिसर में ही भू-समाधि दी गई
सुबोद्धानंद ने बताया कि नए शंकराचार्य के नामों की घोषणा के बाद इन दोनों का नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में तिलक लगाकर पीठाधीश्वर की प्रतिष्ठा की गई।
उन्होंने कहा कि इसके तुरंत बाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को उनकी तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर के परिसर में ही भू-समाधि दी गई।
एक संत ने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद का अंतिम संस्कार समाप्त होने के बाद अब दोनों शंकराचार्यों का पट्टा अभिषेक कार्यक्रम उनके पीठों या मठों में होगा।
माना जाता है कि शंकराचार्य पीठ रिक्त नहीं रह सकती है। इसी वजह से इस दुःखद अवसर पर भी मान्य परंपरा का पालन करते हुए ब्रम्हलीन स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती के उत्तराधिकारी की घोषणा करनी पड़ी।