Holy book Quran : स्वीडन (Sweden) में पवित्र कुरान जलाने की घटना की चर्चा पूरे विश्व में इस घटना पर चर्चा की जा रही है।
हाल ही में पाकिस्तान (Pakistan) पवित्र कुरान (Holy Quran) जलाने की घटना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) में धार्मिक घृणा से जुड़ा एक प्रस्ताव लाया था।
ड्राफ्ट प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी गई। खास बात है कि भारत ने भी पाकिस्तान के इस प्रस्ताव का UN में समर्थन किया है।
57 इस्लामिक देशों के संगठन का प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की ओर से बताया गया कि 57 इस्लामिक देशों के संगठन OIC की ओर से पाकिस्तान ने मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें कुछ European व अन्य देशों में पवित्र कुरान के साथ कई गलत घटनाओं की निंदा की गई थी।
किन देशों ने किया प्रस्ताव का विरोध
UNHRC में पेश किए गए इस प्रस्ताव पर कुल 47 सदस्य देशों में से 12 देशों ने विरोध किया।
इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, जर्मनी (Germany), रोमानिया, लिथुआनिया (Lithuania), कोस्टा रीका और फिनलैंड (Finland) भी शामिल है।
जबकि भारत और चीन समेत कुल 28 देशों ने पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन किया।
7 देश ऐसे भी थे, जिन्होंने किसी का भी समर्थन नहीं किया। इन देशों में नेपाल (Nepal) भी शामिल है।
कुरान जलाने जैसी घटनाएं नफरत को
UNHRC में प्रस्ताव पर बहस के दौरान मुस्लिम देशों का कहना था कि कुरान जलाने जैसी घटनाएं नफरत को बढ़ाने का काम करती हैं।
फ्रीडम ऑफ स्पीच (Freedom of Speech) के नाम पर ऐसी घटनाओं को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है।
वहीं पश्चिमी देशों ने इस तरह की घटनाओं की निंदा जरूर की, लेकिन तर्क देते हुए कहा कि Freedom of Speech का मतलब कभी-कभी असहनीय विचारों को सहना भी होता है।
पश्चिमी देशों की हार
पाकिस्तान के इस प्रस्ताव के लिए कई देशों ने अमेरिका और ब्रिटेन (America & Britain) जैसे पश्चिमी देशों के खिलाफ जाकर अपना समर्थन दिया।
UN में पाकिस्तान को मिले 28 देशों के भारी समर्थन को पाकिस्तानी अखबार डॉन ने पश्चिमी देशों की बड़ी हार बताया।
साथ ही अखबार में लिखा गया कि UNHRC में OIC का दबदबा है।
दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि मिशेल टेलर (Michelle Taylor) ने कहा कि अमेरिका की चिंताओं को गंभीरता के साथ नहीं लिया गया।
उनका मानना है कि एक खुली चर्चा और थोड़ा समय देने के बाद हम सभी इस प्रस्ताव पर एक साथ आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढ सकते थे।