नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान के हमले में पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई। ये वारदात कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में एक झड़प के दौरान हुई। दानिश अफगानिस्तान की स्पेशल फोर्सेज के साथ रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर थे, उसी समय इस घटना को अंजाम दिया गया।
दानिश सिद्दीकी आज हर शख्स याद कर रहा है। वैसे तो अनेक क्षेत्रों में किया गया उनका काम अद्भुत था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने कुछ ऐसी तस्वीरें उतारीं, जिन्होंने पूरे सिस्टम की पोलपट्टी भी खोल दी और मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख दिया।
जानकारी के मुताबिक उनके शव को तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति को सौंप दिया है। भारत के अधिकारी उनके शव को भारत लाने का प्रयास कर रहे हैं।
तालिबान ने स्पिन बोल्डक इलाके के मेन मार्केट एरिया पर कब्जा कर लिया था। अफगान सेना उसे फिर से वापस हासिल करने के लिए कार्रवाई कर रही थी। उसी दौरान क्रॉस फायरिंग में दानिश और एक सीनियर अफगानी अधिकारी की मौत हो गई।
एक अफगानी कमांडर ने रॉयटर्स को बताया कि दानिश दुकानदारों से बात कर रहे थे, उसी समय तालिबान ने फिर से हमला कर दिया। इसमें दानिश मारे गए। काबुल स्थित भारतीय एंबेसी अफगान सरकार के अधिकारियों के साथ संपर्क में है। कहा गया है कि दानिश के शव को भारत लाने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं।
यह तस्वीर भी दिल्ली की है। एक श्मशान में सामूहिक अंतिम संस्कार का इंतजाम किया जा रहा है। यह तस्वीर उस वक्त की है जब कोरोना इतने लोगों की जान ले रहा था कि न तो अस्पताल में जगह थी और न ही श्मशान में।
किसी व्यक्ति को सबसे सच्ची श्रद्धांजलि उसके काम को यादकर, उसे दुनिया तक पहुंचाकर दी जाती है। आइए दानिश सिद्दीकी की खींची तस्वीरों से ही उन्हें याद किया जाए।
पिछले साल हुए दिल्ली दंगों की याद ज़ेहन से नहीं जाती। और न ही ज़ेहन से जाती है ये तस्वीर, जो हमारे मन में बन चुकी है। दानिश की खींची इस तस्वीर में दिख रहा लड़का गोपाल शर्मा उर्फ राम भक्त गोपाल है।
दानिश ये तस्वीर उस समय खींची, जब गोपाल जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास CAA का विरोध प्रदर्शन करने वालों पर फ़ायरिंग कर रहा था। उस समय वो नाबालिग था।
इस तस्वीर में एक बच्चा मुंबई के एक खेल के मैदान में अभ्यास सत्र के दौरान मलखंभ कर रहा है। दानिश ने 13 सितंबर 2010 को ये तस्वीर खींची थी। मलखंभ लकड़ी का बना एक प्रकार का खंभा होता है, जिस पर फुर्ती से चढ़ते-उतरते हुए अलग-अलग प्रकार की कसरत की जाती है।
ये पारंपरिक भारतीय जिम्नास्टिक और मार्शल आर्ट का एक संयोजन है। 12वीं शताब्दी से चला आ रहा है। सदियों से ये खेल निष्क्रिय और इग्नोर्ड रहा। लेकिन हाल के सालों में इसे लोकप्रियता मिली है।
तस्वीर 11 सितंबर, 2017 की है। शाह पोरिर द्वीप की। ये तस्वीर पुलित्ज़र पुरस्कार पाई तस्वीरों में से एक है। इसमें बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पार करने के बाद एक थकी हुई रोहिंग्या शरणार्थी महिला तट को छू रही है। दानिश सिद्दीकी की खींची यादगार तस्वीरों में से एक।
तस्वीर भारत में आई कोरोना वायरस की फ़र्स्ट वेव के समय की है। ये शायद उस समय सबसे ज्यादा वायरल हुई तस्वीरों में से एक है, जो लॉकडाउन की वजह से विस्थापन के लिए मजबूर हुए लोगों का दर्द बयां करती है।
महिला सैनिक की इस तस्वीर को भी लोगों ने किया था पसंद
दानिश की तस्वीरों में से एक यह तस्वीर भी एक समय काफी वायरल हुई थी। 12 सितंबर, 2018 को उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में एक चिड़ियाघर का दौरा करते हुए महिला सैनिक आइसक्रीम खाते हुए कैमरे में कैद हुई थी।
जितनी वायरल फ़र्स्ट वेव के दौरान पिछली तस्वीर हुई थी, उतनी ही ये तस्वीर दूसरी वेव के दौरान हुई। भारत में आई कोविड-19 महमारी की दूसरी वेव। इस तस्वीर को कई अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल्स ने जगह दी। साफ़ दिख रहा है कि एक साथ कितनी चिताएं जल रही हैं। और दिख रही है कोरोना महामारी कि विभीषकता।
तस्वीर 27 अगस्त, 2015 की है। नासिक शहर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर में आयोजित कुंभ मेले की। एक जुलूस से पहले अपने शिविर में एक नागा साधु राख लगा रहा है।