कोलकाता: नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (इसाक-मुइवा) ने कहा है कि केंद्र के साथ उनकी बातचीत पटरी पर है। हालांकि उन्होंने नागालैंड के राज्यपाल आर.एन. रवि के बयान को लापरवाही भरा बताया।
एनएससीएन (आई-एम) ने एक बयान में कहा, इंडो-नागा राजनीतिक वार्ता टीम वापस मेज पर आ गए है और बात आगे बढ़ रही है।
3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षरित ऐतिहासिक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) के संबंध में किसी भी गलत व्याख्या को समाप्त करने के लिए इसे वापस लाया गया है।
गवर्मेट ऑफ द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालिम सरकार के लेटरहेड पर बयान जारी किया गया है, जिसे विद्रोही समूह ने 1980 के बाद से अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में शासन करने के लिए इस्तेमाल किया था।
इससे पहले नागा विद्रोही आंदोलन 1975 के शिलांग समझौते से अलग हो गया था।
शिलांग समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मुइवा और इसाक स्वू नागा नेशनल काउंसिल के शिलांग समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से अलग हो गए और इसे नागाओं के लिए विश्वासघात बताया। मुइवा और इसाक स्वू दोनों चीन द्वारा प्रशिक्षित गुरिल्ला हैं।
लेकिन 1980 में अपने गठन के बाद से एनएससीएन का नेतृत्व करने वाले दोनों नेताओं ने 1997 में केंद्र के साथ बातचीत शुरू की और उन्होंने 2015 में मोदी सरकार के साथ फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले जातीय विद्रोह के अंतिम समाधान का मार्ग प्रशस्त हो सका।
एनएससीएन (आई-एम) ने राज्यापाल आर.एन. रवि के उस दावे का खंडन किया है, जिसमें राज्यपाल ने कहा है कि वार्ता समाप्त हो गई है।
बयान के अनुसार, हाल ही में, नागालैंड विधानसभा में नागालैंड के राज्यपाल आर.एन.रवि द्वारा दिए गए लापरवाही भरे बयान के कारण अनावश्यक भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी कि भारत-नागा राजनीतिक वार्ता संपन्न हो गई है।
एनएससीएन(आई-एम) के बयान में कहा गया है कि भारत-नागा राजनीतिक वार्ता.. एक उन्नत स्तर पर है और इसकी पुष्टि केंद्र सरकार ने की है।
बयान में कहा गया है, इसमें कोई शक नहीं है, यह भारत-नागा राजनीतिक चर्चा की जमीनी सच्चाई है और एनएससीएन की वार्ता टीम नागा लोगों की राजनीतिक पहचान की रक्षा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
बयान के अनुसार, नागा राजनीतिक मुद्दे के मामले में उन्हें (रवि) हर एक शब्द को लेकर सावधान रहना चाहिए। उनके शब्दों से उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता चल रही है, ताकि नागा लोग और भारत सरकार एक सम्मानीय और स्वीकार्य बिंदु तक पहुंच सकें।
यही आधिकारिक समझ है और बात को समाप्त करने का एकमात्र तरीका है।