Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल RN Ravi को फटकार लगाते हुए कहा कि वे बिना किसी सूचना के पारित विधेयकों को रोक नहीं सकते। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्यपाल अपनी नापसंदगी की धारणा के आधार पर विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते।
कोर्ट ने सवाल किया कि अगर राज्यपाल को कोई विधेयक पसंद नहीं है, तो क्या उन्हें इसे राज्य सरकार के संज्ञान में नहीं लाना चाहिए? सरकार को यह कैसे पता चलेगा कि राज्यपाल के मन में क्या है? पीठ ने कहा कि यदि राज्यपाल को कोई विधेयक अस्वीकार्य लगता है, तो उन्हें तुरंत राज्य सरकार को सूचित करना चाहिए ताकि सरकार इस पर पुनर्विचार कर सके।
Supreme Court ने उन विधेयकों पर भी सवाल उठाए, जिन्हें राज्यपाल ने राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा था। अदालत ने कहा कि अगर राज्यपाल को लगता है कि कोई विधेयक केंद्रीय कानून के खिलाफ है, तो उन्हें स्पष्ट रूप से यह कहना होगा कि वह इसे राष्ट्रपति के पास भेज रहे हैं। अन्यथा, इससे अनावश्यक गतिरोध उत्पन्न होगा।
महान्यायवादीआर वेंकटरमानी ने अदालत को बताया कि सात विधेयकों पर राष्ट्रपति ने अपनी सहमति रोक दी थी और इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि सहमति रोकने का अर्थ इसे अस्वीकार करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर राज्यपाल की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और स्पष्ट किया कि विधायी प्रक्रिया में राज्यपाल को पारदर्शिता बरतनी होगी।