पटना: राजधानी पटना से सटे बिक्रम थाना क्षेत्र के गोरखरी गांव के पास गुरुवार की दोपहर सड़क हादसे में ड्राई आइस यानी कार्बन डाई ऑक्साइड गैस से भरी एक टैंक लॉरी क्षतिग्रस्त हो गई।
टैंक लॉरी के क्षतिग्रस्त होने से उसमें से तेजी से गैस लीक होने लगी। इससे आस पास में रहने वाले लोग इधर-उधर भागने लगे। राहत की बात यह रही कि जहां पर गैस लीक हुई वहां पर आबादी नहीं है।
सिर्फ इक्के-दुक्के मकान हैं। आबादी लगभग आधा किलोमीटर दूर है।
कोई हताहत नहीं
गैस लीक होते ही बर्फबारी जैसा नजारा दिखने लगा। चारों ओर बर्फ के फाहे नजर आ रहे थे, एकदम दूध की तरह सफेद। यह तेजी से आसपास के खेतों में फैलने लगा।
चारों ओर सफेद कोहरा छा गया। गनीमत रही कि आसपास घास चर रहे मवेशी और पक्षी दूर छिटक गए।
रिसाव से किसी जानवर या इंसान के हताहत होने की सूचना नहीं है। ड्राई आइस का इस्तेमाल गर्म लोहे को ठंडा करने के लिए होता है।
16 हजार लीटर ड्राई आइस लोड था
टैंक लॉरी में 16 हजार लीटर ड्राई आइस लोड करके बिहटा ले जाया जा रहा था। गोरखरी गांव के पास सड़क निर्माण हो रहा है। वहीं से गुजरने के क्रम टैंक लॉरी क्षतिग्रस्त हो गई।
फिलहाल गैस का रिसाव बंद हो चुका है और स्थिति सामान्य है। लॉरी से जब सारी गैस लीक हो गई तब लोगों ने चैन की सांस ली। गैस का रिसाव बंद होने में करीब एक घंटे का समय लगा।
इस एक घंटे के दौरान प्रशासन का कोई अधिकारी या फायर ब्रिगेड की गाड़ी घटनास्थल पर नहीं पहुंची थी। रिसाव बंद होने के बाद अंचलाधिकारी और प्रभारी थानाध्यक्ष वहां पहुंचे।
टैंक लॉरी के चालक रामचंद्र ने बताया कि वह टैंक में ड्राई आइस लेकर बिहटा की लोहा फैक्ट्री में जा रहा था। इस दौरान रास्ता भटक गया और बिक्रम पहुंच गया जहां यह हादसा हो गया।
ऐसे बन सकता था जान पर खतरा
एक्सपर्ट के अनुसार कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का लीक होना खतरनाक मामला है। यहां थोड़ी सी लापरवाही जीवन पर भारी पड़ सकती थी।
यह गैस जहरीली तो नहीं होती लेकिन हवा से काफी भारी होती है और इसके प्रभाव में अधिक देर तक रहने वाले का दम घुट सकता है। उसकी जान भी जा सकती है।
कॉलेज आफ कॉमर्स के रसायन विज्ञान के प्रोफेसर अरविंद कुमार नाग का कहना है कि कार्बन डाई ऑक्साइड हवा से भारी होने के कारण काफी तेजी से फैलती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
इसका दम घुटने का प्रभाव बहुत तेज होता है, लेकिन इस क्षेत्र से जैसे ही इंसान बाहर जाएगा उसे राहत मिल जाएगी। प्रोफेसर नाग का कहना है कि कार्बन डाई ऑक्साइड जब लीक होती है तो ऑक्सीजन की मात्रा पर यह भारी पड़ जाती है।
ऑक्सीजन की मात्रा 20 से 21 प्रतिशत होनी चाहिए। इसमें अचानक कोई गैस आ जाती है तो ऑक्सीजन की मात्रा घट जाएगी। इससे सांस लेने में समस्या होगी।
जिस भी क्षेत्र में घटना हुई है वहां कार्बन डाई ऑक्साइड जल्दी ऊपर नहीं उठेगा, समय ज्यादा लग सकता है। ऐसे में सांस में तकलीफ की समस्या काफी देरी तक बनी रहेगी।