नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री की नियुक्ति से जुड़ी कानूनी लड़ाई के संबंध में सुनवाई की।
दिसंबर 2019 में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने और नटराजन चंद्रशेखरन को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने के आदेश को अवैध करार दिया था। शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी थी।
मिस्त्री का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने बुधवार को शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उन्होंने हस्तक्षेप आवेदन (आईए) दायर किया है।
सुंदरम ने कहा कि नया आईए केवल एक अतिरिक्त राहत चाहता है, क्योंकि पहले आईए में इसे कवर नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यम के साथ प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुंदरम से कहा, आपने आईए दायर क्यों किया है। हम अंतिम सुनवाई के साथ आगे क्यों नहीं बढ़ेंगे?
पीठ ने उन्हें याद दिलाया कि इस मामले को आज अंतिम सुनवाई के लिए रखा गया है, फिर भी एक आईए दायर किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि आप एक आईए दायर करते हैं, जिसमें उत्तर और दलीलों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि अदालत ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए रखा है। मामले में एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा, हम इसे अंतिम सुनवाई के लिए दो दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करेंगे।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह और साइरस मिस्त्री को अगली सुनवाई तक टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल) के शेयरों को गिरवी रखने या स्थानांतरित करने से रोक दिया है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि समूह को उन शेयरों पर आगे कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो उन्होंने पहले ही धन जुटाने के लिए गिरवी रखे हैं।
बता दें कि टाटा समूह और एसपी समूह के बीच इन शेयरों को लेकर पिछले एक साल से विवाद चल रहा है। मिस्त्री परिवार के एसपी समूह की टीएसपीएल में करीब 18 फीसदी हिस्सेदारी है और वो इस कंपनी का सबसे बड़ा माइनारिटी शेयर होल्डर है।
पालोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन चार साल बाद 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया था, तभी से उनका टाटा समूह के साथ विवाद चल रहा है।