AI’s Entry in Medical Field: खांसी की आवाज हमें भले ही एक सी लगे लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) प्रत्येक इंसान के खांसी की आवाज के बीच अंतर बताने की क्षमता रखता है। इसके जरिए फेफड़े की विभिन्न बीमारियों जैसे TB या लंग कैंसर का पता लगा लेगा।
दरअसल, तकनीक की दुनिया में क्रांति लाने वाले AI की Entry स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में हो चुकी है।
इसी माह गूगल ने भारतीय Firm Salsit Technologies के साथ साझेदारी का ऐलान किया है। साल्सिट ने ‘स्वासा’ नामक एआई टूल को डिजाइन किया है। यह खांसी की आवाज का विश्लेषण कर फेफड़े में होने वाले बदलाव को बता देगा। इस पहल से भारत और अन्य देशों में लाखों लोगों की जान बचाई जा सकेगी और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। यह तकनीक उन जगहों पर बहुत उपयोगी साबित हो सकती है जहां लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
मार्च में गूगल ने भारत में अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल के साथ हाथ मिलाया था जिसका मकसद अगले कुछ दशकों की अवधि में इन बीमारियों की स्क्रीनिंग के लिए मुफ्त एआई से लैस 30 लाख स्क्रीनिंग मुहैया कराना है।
इसके अलावा गूगल ताईवान के चांग गुंग Memorial Hospital के साथ समझौता कर रहा है ताकि ऐसे एआई मॉडल विकसित कर सके जो अल्ट्रासाउंड की छवियों से स्तन कैंसर के शुरुआती संकेतों की पहचान कर ले। AI वाले स्वास्थ्य क्षेत्र में गूगल की इस पहल से सुधार देखने को मिलेगा। दुनिया भर में इस तकनीक के इस्तेमाल से बीमारियों की समय रहते आसानी से पहचान हो सकेगी।
इस साझेदारी के जरिए स्वासा मार्च में रिलीज गूगल के एआई मॉडल हियर (Health Acoustic Representations) का फायदा उठाएगी जिससे बीमारी का सटीक पता लगाने में मदद मिलेगी।
AI मॉडल हियर को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त अलग अलग तरह के तीन करोड़ Audio Data से प्रशिक्षित किया गया है। विशेषकर हियर के भीतर कफ मॉडल को लगभग एक करोड़ खांसी की आवाजों के साथ प्रशिक्षित किया गया। गूगल हेल्थ की डायरेक्टर और Engineering प्रमुख श्रव्या शेट्टी के अनुसार, खांसी के विभिन्न पैटर्न की समझ AI टूल ‘हियर’ को है।