नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार के नए आईटी रूल्स के तहत गूगल को सोशल मीडिया इंटरमीडियरी घोषित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 25 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
गूगल की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आईटी रूल्स उसके सर्च इंजन पर लागू नहीं होते हैं।
गूगल ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के उस फैसले पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने गूगल सर्च, याहू सर्च, माइक्रोसॉफ्ट बिंग और डकडकगो को निर्देश दिया था कि वे अपने सर्च रिजल्ट से एक महिला के फोटो और वेबलिंक के सभी उपलब्ध पेज हटाएं, जो उसकी बिना सहमति के अपलोड किए गए हैं।
कोर्ट ने गूगल सर्च, याहू सर्च, माईक्रोसॉफ्ट बिंग और डकडकगो को निर्देश दिया था कि वो इस कंटेंट से मिलते जुलते दूसरे कंटेंट को भी हटाएं।
गूगल ने कहा है कि उसे याचिकाकर्ता को लेकर हाईकोर्ट के आदेश से परेशानी नहीं है बल्कि सिंगल बेंच के इस आदेश से परेशानी है, जिसमें गूगल को आईटी रूल्स के तहत सोशल मीडिया इंटरमीडियरी कहा गया है।
सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि गूगल एक सर्च इंजन है और वो सोशल मीडिया इंटरमीडियरी नहीं है।
कुछ कंटेंट भारतीय कानून के मुताबिक आपत्तिजनक हो सकते हैं लेकिन भारत के बाहर वो आपत्तिजनक नहीं माने जाते हैं। ऐसे में उन कंटेंट को पूरी दुनिया से हटाना मुश्किल है।
पिछले 20 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि फेसबुक और इंस्टाग्राम से किसी का फोटो लेकर बिना उसकी सहमति के पोर्न वेबसाइट पर डालना इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध है।
जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने कहा था कि भले ही वो फोटो आपत्तिजनक नहीं हो लेकिन वो पोर्न वेबसाइट पर डालना उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।