पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बन गई, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) के बीच जुबानी जंग थम नहीं रही है।
जदयू ने शनिवार को कहा कि राजद के नेता तेजस्वी यादव को भ्रष्टाचार पर बोलने का अधिकार नहीं है।
जदयू ने मेवालाल चौधरी के मंत्री पद से इस्तीफा मामले पर तेजस्वी को घेरते हुए जदयू के नेताओं ने कहा कि जिसका परिवार भ्रष्टाचार में डूबा हुआ हो, उनको अधिकार किसने दिया है वे दूसरों पर सवाल खड़ा करें।
जदयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मेवालाल चौधरी ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर एक बड़ा ही अच्छा उदाहरण पेश किया है।
सिंह ने कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने राजनैतिक शुचिता का बराबर ध्यान रखा है, सार्वजनिक जीवन में कभी-कभी विवादास्पद मौके आते भी हैं। उसकी व्याख्या भी होती है।
जब भी ऐसे मौके पर सवाल उठा है नैतिकता का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री ने ऐसे आरोपियों से इस्तीफा लिया है।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए सवाल किया, इस मामले में तेजस्वी यादव मुखर थे, लेकिन उन्हें बोलने का नैतिक पक्ष कहां है?
कहां सार्वजनिक जीवन की प्रतिबद्धता और उसकी ऊंचाई, उसकी शुचिता उस पर पर भी उन्हें बोलने का अधिकार है, क्या?
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि, हमारे नेता नीतीश कुमार ने हमेशा दो बातों की चर्चा की है कि हम कभी भ्रष्टचार, अपराध से समझौता नहीं करेंगे और न हम किसी को फंसाते हैं और न हम किसी को बचाते हैं।
इसका स्पष्ट उदाहरण मेवालाल चौधरी का मामला है।
प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि, नीतीश कुमार के कार्यकाल में जितने भी विधायक, मंत्रियों या अन्य नेताओं पर आरोप लगा, उन्हें इस्तीाफा देना पड़ा, लेकिन हम तेजस्वी यादव से पूछना चाहते हैं कि जिसका परिवार भ्रष्टाचार में डूबा हुआ हो, उनको अधिकार किसने दिया है कि दूसरों पर सवाल खड़ा करें।
विधानपार्षद नीरज कुमार ने कहा कि, लालू परिवार से राजनीति में नैतिकता की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन हमारी उम्मीद इतनी भर है कि सदन के सदस्य होने के नाते जब तेजस्वी यादव शपथ लें तो आरोपी होने की धाराएं जरूर लोगों को बताएं।
जदयू नेता डॉ. अजय आलोक ने कहा कि, मेवालाल चौधरी पर अभी तक अभियोजन नहीं हुआ है, अभियोजन होने से चार्जशीट होने तक एक प्रक्रिया होती है, तब जाकर चार्जशीट होगी।
लेकिन उससे पहले ही इस्तीफा ले लिया गया। यह राजनीतिक शुचिता का उच्च मापदंड प्रदर्शित करता है।
उल्लेखनीय है कि मेवालाल चौधरी को मंत्री पद की शपथ लेने के तीन दिनों के अंदर ही भ्रष्टाचार के आरोप होने के कारण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।