Terrifying Love Story in Delhi : पहले प्यार, फिर तकरार और धोके से वार ऐसा मामला हमने बहुत देखा है। प्यार में मर्डर के मामले (Love Murder Cases) भी बहुत सुने।
लेकिन दिल्ली से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सबको चौका के रख दिया है। दिल्ली में महिला कॉन्स्टेबल की हत्या (Female Constable Murder) के दो साल बाद हुए खुलासे ने सभी को चौंका दिया है।
इस केस की सबसे खास बात यह है कि इसमें हत्यारा कोई और नहीं बल्कि महिला कॉन्स्टेबल के साथ ही काम करने वाला हेड कॉन्स्टेबल है। इतना ही नहीं वह इस वारदात को अंजाम देने के बाद दो साल तक महिला पुलिसकर्मी के परिवार को गुमराह भी करता रहा।
सुरेश और मोना की लव स्टोरी
दरअसल, दिल्ली की पुलिस की PCR यूनिट में 2012 में सुरेश राणा की भर्ती हुई। वह यहां हेड कॉन्स्टेबल (Head Vonstable) था। इसके ठीक दो साल बाद महिला कॉन्स्टेबल मोना की भर्ती 2014 में दिल्ली पुलिस की PCR यूनिट में हुई।
यहां पर ही सुरेश और मोना एक दूसरे के संपर्क में आए थे। मोना सुरेश (Mona Suresh) को डैडा यानी पिता बुलाती थी और सुरेश उसे बेटा बोलता था। सुरेश, मोना से एक तरफा प्यार करता था।
कैसे की मोना की हत्या
मोना का सलेक्शन कुछ समय बाद यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के लिए हो गया और वह दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़कर मुखर्जी नगर में UPSC की तैयारी करने लगी। मोना का सपना IAS या IPS बनने का था। इस बीच सुरेश उस पर बुरी नजर रखने लगा, मोना ने इसका विरोध किया।
सुरेश 8 सितंबर 2021 को मोना को लेकर दिल्ली के अलीपुर में अपने घर की तरफ ले गया। यहां ऑटो रुकवाकर सुरेश ने एक गला दबाकर मोना की हत्या कर दी और बड़े नाले में मोना की लाश को फेंक दिया। लाश फेंकने के बाद उसने ऊपर से पत्थर भी रख दिए।
घरवालों को भ्रम में रखा
हत्याकांड (Murdercase) को अंजाम देने ने बाद आरोपी सुरेंद्र ने मोना के घरवालों को बताया कि वह कहीं गायब हो गई है। आरोपी सुरेंद्र लगातार मोना के घरवालों के साथ उसे खोजने का ड्रामा करता रहा।
कई बार वह मोना के घरवालों के साथ पुलिस थाने भी गया। आरोपी ने कई बार थाने में पुलिस वालों को मोना को ठीक से नहीं तलाश करने पर फटकार भी लगाई।
अलीपुर से मिला मोना का कंकाल
क्राइम ब्रांच के अफसरों के मुताबिक सुरेंद्र पुलिस (Surendra Police) के अधिकारियों के सामने भी पूछताछ में लगातार बड़े-बड़े अफसरों को गुमराह करता रहा। वह इसमें कई दिनों तक कामयाब भी रहा।
कभी वह लाश बरामद करने के लिए कहीं लेकर जाता तो कभी कहीं और। लेकिन लंबी पूछताछ के बाद वह टूट गया और पुलिस ने अलीपुर से मोना का कंकाल बरामद कर लिया।
कंकाल फॉरेंसिक टीम (Skeleton Forensic Team) को भेज दिया गया है। क्राइम ब्रांच अब मोना के परिवार का DNA लेकर उसका मिलान बरामद कंकाल से करेगी। जिस से पुख्ता हो सके की बरामद नरकंकाल मोना का ही है।
मोना को कागजों पर रखा था जिंदा
आरोपी ने मोना को जिंदा दिखाने के लिए किसी और लड़की को लेकर उसके नाम से कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के फर्जी सर्टिफिकेट बनवा दिए। वो मोना के बैंक अकाउंट से लेनदेन करता था, जिससे लगे वो जिंदा है।
आरोपी, मोना के SIM Card का भी इस्तेमाल करता रहा। सुरेंद्र, मोना के घरवालों को झूठी जानकारी देकर कहता था कि उसे किसी ने फोन किया है और वह इस लोकेशन पर है। इसके बाद मोना के घरवालों के साथ लोकेशन पर भी जाता था।
पुरानी रिकॉर्डिंग से मोना के परिवार को कर रहा था गुमराह
मोना के घरवालों ने सुरेंद्र के साथ पांच राज्यों के कई शहरों की खाक छानी। हत्या के राज को छिपाने के लिए सुरेंद्र ने एक और हैरतंगेज तरीका अपनाया।
उसने अपने साले रॉबिन को मोना का एक Audio दिया और रॉबिन ने अरविंद बनकर मोना के घरवालों को पांच बार फोन किया।
जब आरोपी सुरेंद्र का साला रॉबिन, अरविंद नाम से मोना के घरवालों को फोन करता और मोना के घर वाले मोना से बात करने के लिए कहते तो रॉबिन मोना की आवाज की पुरानी रिकार्डिंग चला देता था, जिसमें मोना बोलती थी मुझे तलाश मत करो। मैं सही सलामत हूं। मम्मी बेवजह परेशान होती हैं।
मामले में लोकल पुलिस की बड़ी लापरवाही
इस मामले में लोकल पुलिस (Local police) की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। मोना के परिवार वाले लगातार लोकल पुलिस से मोना को तलाश करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन North West जिले की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।
परेशान होकर मोना के परिवार वालों ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से गुहार लगाई। कमिश्नर ने मामले की जांच दो महीने पहले ही क्राइम ब्रांच को सौंप दी। क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की तो सबसे पहले उस नंबर की पड़ताल की, जिससे रॉबिन, अरविंद बनकर फोन करता था।
जांच में पता चला कि ये नंबर पवन नाम के शख्स का है। लेकिन उसने डीपी राजपाल नाम के शख्स की लगी थी, क्राइम ब्रांच की टीम ने राजपाल को उठाया और उससे पूछताछ शुरू की तो 2 साल से दफन हत्या का राज खुल गया। राजपाल, पवन का दोस्त निकला।
कॉल गर्ल को देता था मोना का रूप
पुलिस और पीड़िता (Police and Victim) के परिजनों को धोखा देने के लिए सुरेंद्र का साला रॉबिन कॉल गर्ल के साथ हरियाणा, देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी जैसे शहरों के होटल में गया।
यहां से वह पीड़िता के घर फोन करके कहता था कि पीड़िता उसके पास है। रॉबिन जगह को छोड़ते वक्त जानबूझकर पीड़िता के कागजात गिरा देता था, फिर होटल में उसके ही फोन से कॉल करके उसके कागजात गिरने की सूचना देता था।
जब पुलिस फोन को ट्रेस (Trace) करके उस जगह पर पहुंचती थी तो होटल वाले परिवार और पुलिस वालों को पुष्टि कर देते थे कि उनके यहां वह लड़की आई थी। इससे पुलिस को भी लगता था कि पीड़िता खुद ही अपने मां-बाप के पास जाना नहीं चाहती।
आरोपी सुरेश के पास मोना के कई ऑडियो थे, जिसे एडिट कर वह मोना की आवाज अपने साले रॉबिन (Robin) को भेज देता था। रॉबिन जब भी मोना के परिवार को फोन करता तो मोना के जिंदा होने के सबूत के तौर पर मोना का ऑडियो प्ले करता था और मोना के परिवार वाले यकीन कर लेते की मोना जिंदा है।