न्यूज़ अरोमा रांची: स्थायीकरण व वेतनमान समेत अन्य मांगों को लेकर लंबे समय से प्रयासरत राज्य के लगभग 65 हजार पारा शिक्षकों में हेमंत सरकार की वादा खिलाफी के बाद आंदोलन की सुगबुगाहट क्या हुई, पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
राजधानी रांची स्थित पुलिस हेड क्वार्टर से दनादन फोन आने लगे हैं। कहा जा रहा है कि आप लोग फिर से आंदोलन कर रहे हैं क्या। क्यों कर रहे हैं और यदि कर रहे हैं तो आंदो
लन वापस नहीं लिया जा सकता है क्या! यह कहना है पारा शिक्षक संघ के रांची जिलाध्यक्ष मो. शकील उर्फ भाई जान का।
उन्होंने कॉलर से कह दिया है कि आंदोलन तो किसी हाल में रुकेगा नहीं। अब हर हाल में आंदोलन होकर रहेगा, आप सरकार तक हमारा यह मैसेज पहुंचा दीजिए।
तीन माह में स्थायी करने का किया था वादा
इधर, मो शकील उर्फ भाई जान का कहा है कि मैंने भी उन्हें सख्त लहजे में सुना दिया के राज्य की वर्तमान सरकार द्वारा चुनाव पूर्व हर मंच से वादा किया गया था कि हमारी सरकार बनते ही 3 महीने में पारा शिक्षकों को स्थायी करते हुए वेतनमान दिया जाएगा। मगर आज 1 वर्ष हो गई फिर भी सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रहा है।
स्थायीकरण तो दूर सरकार द्वारा पारा शिक्षकों के हित पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्रीजी द्वारा पारा शिक्षकों के हित में एक भी स्टेटमेंट नहीं दिया जा रहा है।
वादा याद दिलाकर सीएम आवास का करेंगे घेराव
ऐसे में झारखंड के 65000 पारा शिक्षक फिर से मजबूर होकर पुनः आंदोलन करने को बाध्य हो गए हैं।
इसके तहत 17 जनवरी को झारखंड के राजधानी के 3 विधायकों के आवास सहित तमाम सत्तापक्ष के विधायकों के आवास पर वादा याद दिलाओ प्रदर्शन किया जाएगा।
इसके बाद 24 जनवरी को सभी मंत्रियों के आवास पर भी वादा याद दिलाओ प्रदर्शन किया जाएगा।
यदि इसके बाद भी सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है, मांगे पूरी नहीं करती है तो 10 फरवरी 2021 को झारखंड के 65000 पारा शिक्षक मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे, जिसकी सारी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी।
वर्षगांठ समारोह में भी मिली निराशा
चुनाव से पहले हर मंच से पारा शिक्षकों को स्थायी करने का वादा किया गया था।
बार-बार आश्वासन भी देते रहे। लेकिन कभी न वादे पूरे हुए और न आश्वासनों पर ही सरकार द्वारा अमल किया गया।
हद तो तब हो गई जब प्रदेश के हजारों पारा टीचर्स को सरकार के वर्षगांठ समारोह से भी निराशा ही हाथ लगी।
सबको उम्मीद थी कि इस समारोह में उनके लिए कुछ अच्छी घोषणाएं होंगी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
ऐसे में अब पारा टीचर्स ने आंदोलन का मूड बना लिया है। और अब आंदोलन के माध्यम से ही अपना अधिकार लेकर रहेंगे।
आंदोलन को धार देने की पूरी है तैयारी
बता दें कि एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई की बैठक 27 दिसंबर को राजधानी रांची में हुई थी।
प्रभात तारा मैदान, धुर्वा रांची कैंपस में हुई इस बैठक में राज्य इकाई के सदस्य, सभी जिलाध्यक्ष एवं जिलासचिवों की मौजूदगी में आंदोलन को धार देने की रणनीति बनाई गई।
इस दिन हुई बैठक में आंदाेलन को धार देने पर चर्चा हुई थी।
इस बैठक में एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा राज्य इकाई के बिनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार, नरोत्तम सिंह मुंडा, दशरथ ठाकुर, मोहन मंडल, प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) ने तमाम सदस्यों व पारा शिक्षकों से बैठक में शािमल होने का आह्वान किया था, ताकि पारा शिक्षकों को इंसाफ दिलाने की आवाज बुलंद की जा सके।
क्या है पारा शिक्षकों की मांगें
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई का कहना है कि बड़ी संख्या में पारा शिक्षक स्थायीकरण एवं वेतनमान, अप्रशिक्षित एवं एनसी अंकित/क्लियर साथियों के बकाए मानदेय का भुगतान, छतरपुर एवं नौडीहा बाजार के 436 पारा शिक्षकों के बकाए एवं नियमित मानदेय का भुगतान, पश्चिमी सिंहभूम जिले के 69 पारा शिक्षकों सहित राज्य के सभी जिलों के कुछेक पारा शिक्षकों के पूर्व वित्तिय वर्ष के लंबित मानदेय का भुगतान, राज्य इकाई के कोष के सशक्तिकरण के संबंध में, टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों को टेट पास का मानदेय भुगतान मुख्य मांगें हैं।
बिना आंदोलन न कभी कुछ मिला है न हीं मिलेगा
पारा शिक्षकों का कहना है कि बिना आंदोलन न कभी कुछ मिला है न हीं मिलेगा।
इस लिए वर्तमान सरकार के एक वर्ष में पारा शिक्षकों के प्रति हुए कार्य को देखकर यही कहा जा सकता है कि अब संघर्ष तेज करना ही होगा। सभी से बैठक एवं आंदोलन में अपनी ऊर्जा लगाने का निवेदन भी किया गया था।
इनका कहना है कि अब आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है।
सरकार से पहले ही आग्रह करके अब हम लोग थक चुके हैं। अब लड़कर ही अपना हक पा सकते हैं।
बता दें कि पिछली रघुवर सरकार के सत्ता से बेदखल होने में पारा शिक्षकों के आंदोलन का बड़ा रोल था।