नई दिल्ली: सड़क हादसा होते ही तुरंत घायलों को इलाज मिले, इसके लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एक अहम योजना पर काम कर रहा है।
ऐसी तकनीकी व्यवस्था करने की तैयारी है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क हादसा होते ही तुरंत एंबुलेंस और पुलिस को खबर हो जाएगी। जीपीएस सिस्टम से लैस एंबुलेंस की व्यवस्था होगी।
इसी तरह सड़क हादसों को रोकने की दिशा में भी मंत्रालय कई नई योजनाओं पर भी कार्य कर रहा है। देश भर के आईआईटी, एनआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ मिलकर सड़क हादसे को रोकने की कार्ययोजना पर भी काम चल रहा है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमने ने एक सवाल के जवाब में बताया कि रोड सेफ्टी की दिशा में इमरजेंसी रेस्पांस मैकेनिज्म पर काम चल रहा है।
एंबुलेंस, पुलिस कंट्रोल रूम, हास्पिटल सभी के एक नेटवर्क से जुड़ने से सड़क हादसे के शिकार लोगों को तुरंत इलाज मिलना संभव होगा और राहत एवं बचाव कार्य में भी सुविधा होगी।
हादसा होते ही रियल टाइम इंफार्मेशन मिलेगी। कुछ ही समय में सड़क हादसे के शिकार लोगों के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम भी शुरू होगी। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से भी बात चल रही है।
नए नियमों से कम हुए हादसे
सितंबर 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों में संशोधन को सख्ती से लागू किए जाने के बाद से देश में सड़क हादसों में कमी आई है।
वर्ष 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 449,002 सड़क हादसे हुए, जिसमें 151,113 लोगों की मौत हुई। हालांकि, इससे पिछले वर्ष जब मोटर व्हीकल अमेंडमेंट एक्ट नहीं लागू था, तब 3.86 प्रतिशत ज्यादा सड़क हादसे हुए थे।
मंत्रालय का मानना है कि यातायात नियमों का पालन न करने पर मोटे जुर्माने और कई अन्य व्यवस्थाओं के चलते सड़कों पर वाहन चलाते समय लोग सावधानी बरतने लगे हैं।
जिससे सड़क हादसों में कमी आई है। हालांकि, भारत अब भी सबसे ज्यादा सड़क हादसे वाले देशों में शुमार है।
देश में सड़क हादसों को कम करने के लिए मंत्रालय इन दिनों विश्व बैंक की मदद से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट्स प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है।
ब्लैक स्पॉट्स भी चिह्न्ति किये जा रहे हैं, जहां रोड सेफ्टी से जुड़े प्रबंध हो रहे हैं। वाहन बनाने वाली कंपनियों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानदंडों का पालन करने का निर्देश है।
सड़कों की डिजाइनिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि सड़क हादसे रुक सकें। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम आने से पीड़ित परिवारों को काफी फायदा होगा।
यह योजना सुप्रीम कोर्ट की मंशानुरूप लाई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि योजना लांच होने के बाद सड़क हादसे के शिकार लोगों का ढाई लाख तक का इलाज मुफ्त हो सकेगा।