रांचीः लंबे समय से स्थायीकरण व वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलनरत रहे पारा शिक्षकों को फिर से निराशा हाथ लग सकती है। इसके लिए कोई और नहीं बल्कि सिर्फ शिक्षक संगठन ही ज़िम्मेदार होंगे।
लंबे संघर्ष के बाद उम्मीद की दिख रही किरण फिर से धुंधली नजर आने लगी है। ऐसे में जरूरी है कि सभी संगठन आपसी एकजुटता को बरकरार रखें और एक रणनीति के तहत स्थायीकरण का आंदोलन करें।
ये बातें झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ राज्य इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख ने कही है।
क्या है मामला
उन्होंने बताया कि 15 सितम्बर को मेरे अलावा झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ राज्य इकाई के प्रधान सचिव सुमन कुमार, अजीत सिंह, छोटन प्रसाद राम ने मंत्रीजी से मुलाकात की।
मंत्री ने प्रशिक्षित संघ के प्रतिनिधियों को कहा कि नियमावली अभी मेरे पास नहीं आयी है आने के बाद उसे संगठनों को उपलब्ध करा दिया जाएगा और भी कुछ बातें हुई, जिसे यहां लिखना अनिवार्य नहीं है।
मूल बात यही समझ में आयी कि अति उत्साही एवं टूट-पुंजिये नेताओं के कारण मामला बिगड़ा है।
अनावश्यक दबाव से मंत्री विचलित हुए हैं, इस कारण नियमावली की गाड़ी पटरी से थोड़ी उतरी है। मंत्री का दो टूक जवाब कि आप लोगों को बोले हैं कि ड्राफ्ट तैयार होने के बाद सौंप दिया जाएगा तो फिर अनावश्यक दबाव क्यों बनाया जा रहा है।
मंत्री के सामने झड़प से धूमिल हुई छवि
बता दें कि 18 अगस्त को वार्ता के दौरान मंत्रीजी के सामने एक विशेष समूह की आपसी झड़प हुई, जो काफी शर्मसार करने वाली थी।
मंत्री के सामने पारा शिक्षक के एक नेतृत्वकर्ता का मीडिया वाले के साथ उलझना, पारा शिक्षकों द्वारा अपने नेताओं का मुर्दाबाद और छींटाकशी से मीडिया के सामने पारा शिक्षकों का छवि धूमिल हुई, जिससे मंत्रीजी भी आहत हैं।
स्वार्थी मंडल का खामियाजा भुगतना ना पड़े
स्वार्थी मण्डल का अपनों के बीच समन्वय का काफी अभाव देखने को मिला, एकता और संगठित होने का दवा पेश करने वालों की नौटंकी से स्पष्ट हो गया कि ऊपर से हम एक होने का दावा करने वाले अंदर से कितने खोखले और बिखरे हुए हैं ।
आज परिणाम यह है कि मंत्रीजी को सारा माजरा समझ में आ गया है और वे भी फूंक. फूंक कर कदम रख रहें हैं।
आपसी व्यवहार मंत्रीजी को काफी नागवार गुजरा है। जिस तरह से मंत्रीजी के आवास के सामने हंगामा, धक्का-मुक्की, गाली गलौज उपस्थित एक स्वार्थी समूह के शिक्षकों द्वारा किया गया, उससे मंत्रीजी काफी नाराज हुए हैं।
मंत्री जी ने कुछ सदस्यों को दोबारा बुलाकर काफी सुनाया था। उसी दिन आभास हो गया था कि मंत्रीजी के सामने स्वार्थी मण्डल के सदस्यों की आपसी झड़प और बाहर में प्रायोजित तरीके से तांडव का असर नियमावली पर पड़ेगा।