वक्फ संशोधन कानून केंद्र सरकार ने आज से किया लागू, सुप्रीम कोर्ट में दायर हैं 6 याचिकाएं

झारखंड में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह कानून मुसलमानों के हक और अधिकारों पर हमला है और इसे किसी भी सूरत में झारखंड में लागू नहीं होने दिया जाएगा। अंसारी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस संशोधन के जरिए वक्फ संपत्तियों को हड़पने की कोशिश कर रही है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए सामाजिक और धार्मिक कार्यों का आधार हैं।

Digital News
8 Min Read

Wakf Amendment Act: केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को आधिकारिक रूप से 8 अप्रैल 2025 से लागू कर दिया है। यह अधिनियम संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद प्रभावी हो गया है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने भारत के राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर इसकी पुष्टि की है।

अधिनियम की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत, केंद्र ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए 8 अप्रैल 2025 को वह तारीख घोषित की है, जिस दिन से यह कानून पूरे देश में लागू हो गया।

इस संशोधन के तहत वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार, संपत्ति रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, अनधिकृत कब्जों पर सख्ती, और आम जनता को वक्फ संपत्तियों की जानकारी प्राप्त करने के अधिकार जैसे प्रावधान शामिल हैं। सरकार का दावा है कि यह कदम पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं दायर

हालांकि, इस संशोधन को लेकर विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि नए प्रावधान वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व के अधिकारों पर हस्तक्षेप कर सकते हैं और वक्फ घोषित निजी संपत्तियों को चुनौती देने की प्रक्रिया को जटिल बना सकते हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं दायर की हैं।

इन याचिकाओं में संशोधन की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है और संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है।

- Advertisement -
sikkim-ad

क्या है वक्फ संपत्ति?

वक्फ संपत्ति वह होती है, जो किसी मुसलमान द्वारा धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक कार्यों के लिए स्थायी रूप से दान की जाती है। इन संपत्तियों की देखरेख राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा की जाती है। भारत में वक्फ संपत्तियां 8.7 लाख से अधिक हैं,जो 9.4 लाख एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैली हैं, जिसकी अनुमानित कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह भारतीय रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद देश में तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति धारक संस्था है।

हालांकि, 2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, इन संपत्तियों से होने वाली आय बेहद कम है-लगभग 4.9 लाख संपत्तियों से केवल 163 करोड़ रुपये की आय होती है, जबकि इनकी कीमत 6,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस आय का बड़ा हिस्सा प्रशासनिक खर्चों में खर्च हो जाता है।

समिति ने प्रबंधन में खामियों, भ्रष्टाचार और अक्षमता को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। लंबे समय से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार की मांग उठती रही है, जिसके जवाब में यह संशोधन लाया गया है।

अधिनियम, 2025 में कई अहम बदलाव किए गए

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में कई अहम बदलाव किए गए हैं। यह अधिनियम वक्फ एक्ट, 1995 का नाम बदलकर यूनाइटेड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995 (UWMEED एक्ट, 1995) करता है। सभी वक्फ संपत्तियों को 6 महीने के भीतर एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल पर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा, जिसे वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

अनधिकृत कब्जों को रोकने के लिए जिला कलेक्टरों को अधिक अधिकार दिए गए हैं। अधिनियम में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं और दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है, ताकि समावेशिता और पारदर्शिता बढ़े। साथ ही, यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम महिलाओं, विशेष रूप से विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं, के लिए विशेष प्रावधान लाता है।

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाना धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है। इसके अलावा, यह प्रावधान कि वक्फ बनाने वाला व्यक्ति कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन करने वाला होना चाहिए, को भेदभावपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह हाल के धर्म परिवर्तकों को बाहर करता है।

झारखंड में वक्फ संशोधन का विरोध, इरफान अंसारी की चेतावनी

झारखंड में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह कानून मुसलमानों के हक और अधिकारों पर हमला है और इसे किसी भी सूरत में झारखंड में लागू नहीं होने दिया जाएगा। अंसारी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस संशोधन के जरिए वक्फ संपत्तियों को हड़पने की कोशिश कर रही है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए सामाजिक और धार्मिक कार्यों का आधार हैं।

उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के खिलाफ है और मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है। अंसारी ने यह भी घोषणा की कि झारखंड में जल्द ही उर्दू अकादमी और मदरसा बोर्ड कागठन किया जाएगा, ताकि मुस्लिम समुदाय की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा किया जा सके।

डिजिटलीकरण से संपत्तियों का रखा जा सकेगा सही रिकॉर्ड

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर पक्ष और विपक्ष में कई तर्क सामने आए हैं। समर्थकों का कहना है कि यह कानून वक्फ बोर्डों में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को खत्म करेगा। डिजिटलीकरण से संपत्तियों का सही रिकॉर्ड रखा जा सकेगा, जिससे अनधिकृत कब्जों को रोका जा सकेगा। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून गरीब और वंचित मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा में लाने में मदद करेगा।

दूसरी ओर, आलोचकों का मानना है कि यह कानून वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को खत्म करता है और सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाता है। वक्फ संपत्तियों को लेकर विवादों को सुलझाने के लिए जिला कलेक्टरों को अंतिम निर्णायक बनाना निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है। साथ ही, वक्फ संपत्तियों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे “वक्फ बाय यूजर” (लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ) के प्रावधान को हटाने से ऐतिहासिक संपत्तियों पर खतरा मंडरा सकता है।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के लागू होने के बाद अब इसकी असल चुनौती इसके कार्यान्वयन में होगी। डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संपत्तियों का पंजीकरण, अनधिकृत कब्जों को हटाना, और नए प्रावधानों को लागू करना एक जटिल प्रक्रिया होगी।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के नतीजे भी इस कानून के भविष्य को प्रभावित करेंगे। इसके अलावा, झारखंड जैसे राज्यों में स्थानीय नेताओं का विरोध इस कानून के कार्यान्वयन में बाधा डाल सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाता है या नए विवादों

Share This Article