लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने कहा कि बाढ़ बचाव से सम्बंधित कार्य 15 जून से पहले पूर्ण कर लिया जाए। पुराने तटबंधों की मरम्मत समय से कर ली जाए।
मुख्यमंत्री बुधवार को मंत्रिपरिषद के सामने कृषि उत्पादन सेक्टर के सात विभागों की सौ दिन कार्ययोजना के प्रस्तुतिकरण पर कहा कि सभी विभाग आम आदमी को सुविधाएं देने के साथ ही रोजगार के अवसर भी तलाशें।
जो योजना शुरू करें उसे समयबद्ध रूप से पूरा भी किया जाए। कहा कि 15 जून से पहले पूर्ण कर लिया जाए। पुराने तटबंधों की मरम्मत समय से कर ली जाए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि 100 दिन के बाद जनता के सामने विभागों को अपने कार्यों का विवरण भी प्रस्तुत करना होगा।
उन्होंने कहा कि जनहित की योजनाओं के लिए धनराशि की कमी नहीं है लेकिन वित्तीय संतुलन का ध्यान जरूर रखें और खचरें में कटौती करें।
कहा कि आधुनिक कृषि तकनीक एवं पारंपरिक कृषि विज्ञान का अपेक्षित उपयोग किया जाना चाहिए। कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान को कृषकोन्मुखी और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
प्रदेश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य तेलों की जरूरत के सापेक्ष अभी केवल 30-35 फीसदी उत्पादन हो रहा है।
जबकि दलहन का उत्पादन 40-45 फीसदी है। इसे मांग के अनुरूप उत्पादन तक लाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ाना ही होगा। लघु एवं सीमांत किसानों की भूमिका इसमें अहम होगी। हर कृषि विज्ञान केंद्र को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के प्रयास हों।
केवीके में इंफ्रास्ट्रक्च र पर्याप्त हैं। हर सेंटर में एक प्रोसेसिंग यूनिट जरूर हो। इससे किसानों को लाभ होगा। कहा कि नहरों के टेल तक पानी पहुंच सके, इसके लिए ठोस प्रयास हों। फसल बीमा योजना के सर्वेक्षण को और सरल किया जाए। किसानों को इस संबंध में जागरूक किया जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय में गुणात्मक वृद्धि करने के लिए संकल्पित है और पांच वर्ष में प्रदेश में ऐसा परिवेश तैयार किया जाए, जहां शानदार कृषि व्यवस्था हो और खाद्यान्न व पोषण की सुरक्षा हो।
कृषि विज्ञान केंद्र को सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जाएं, केंद्रों पर इंफ्रास्ट्रक्च र पर्याप्त हैं।
हर सेंटर में एक प्रोसेसिंग यूनिट जरूर हो, ताकि इसका किसानों को लाभ मिले। सीएम योगी ने कहा कि आधुनिक कृषि तकनीक व पारंपरिक कृषि विज्ञान का अपेक्षित उपयोग किया जाए। कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान को कृषकोन्मुखी और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
योगी ने कहा कि अधिकारी हर जिले में निर्यात की जा सकने वाली कई उपज का चिन्हींकरण करके निर्यात को बढ़ावा दें, ताकि किसान मालामाल हो।
यह योजना ओडीओपी की तर्ज पर लागू की जा सकती है। गंगा नदी के किनारे 35 जिलों में प्राकृतिक खेती की परियोजना को प्रोत्साहित किया जाए।
विकास खंड स्तर पर 500-1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा। हर क्लस्टर में एक चैंपियन फार्मर, एक सीनियर लोकल रिसोर्स पर्सन, दो लोकल रिसोर्स पर्सन व 10 कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन का चयन किया जाए।
एक्सप्रेस वे के किनारे स्थापित करें नई मंडियां :
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक्सप्रेस-वे पर जमीन चिन्हित कर नई मंडियों की स्थापना की जाए। पीपीपी माडल पर मंडियों में प्रसंस्करण इकाइयों को स्थापित करने की नीति भी तैयार करें।
उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2017 के तहत स्वीकृत इकाइयों को अनुदान अगले 100 दिन में कर दिया जाए। कौशांबी व चंदौली जिले में इजरायल तकनीक पर आधारित सेंटर आफ एक्सीलेंस फार फ्रूट एंड वेजिटेबल की स्थापना का काम शुरू किया जाए।
योगी ने कहा कि बिलासपुर रामपुर, सेमीखेड़ा बरेली, छाता मथुरा और पूरनपुर पीलीभीत की सहकारी चीनी मिल का आधुनिकीकरण किया जाना जरूरी है।
साथ ही नानौता, साथा और सुल्तानपुर चीनी मिल का सु²ढ़ीकरण किया जाना चाहिए। पेराई सत्र 2022-23 के लिए डिजिटल गन्ना सर्वेक्षण हो।
पांच वर्ष में गन्ने की उत्पादकता 81.5 हेक्टेयर से बढ़ाकर 84 टन प्रति हेक्टेयर करने के लक्ष्य के साथ कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निराश्रित पशुओं के संरक्षण के साथ केंद्र को स्वावलंबी बनाने के लिए अगले 100 दिनों में गो-अभ्यारण्य की स्थापना की जाए।
इसी अवधि में 50,000 निराश्रित पशुओं को पंचायती राज व नगर विकास से समन्वय करके संरक्षण दिलाया जाए।
छह माह के भीतर एक लाख निराश्रित पशुओं के लिए व्यवस्थित आश्रय स्थल तैयार कराए जाएं। उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य, कल्याण, स्थिर पशुपालन को बढ़ावा देना हमारा संकल्प है। अन्य पशुजन्य उत्पाद को प्राप्त करने के लिए उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि की जानी चाहिए।