नई दिल्ली: अब चीन की नजर तिब्बत के शिगात्से विभाग में स्थित चुम्बी घाटी पर है जहां भारत के सिक्किम राज्य, भूटान और तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं। यह घाटी भारत और भूटान के बीच रणनीतिक स्थान है जहां से पीएलए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच को चुनौती दे सकता है।
भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में आने वाली चुम्बी घाटी में चीन अपनी कनेक्टिविटी को मजबूत करके गहराई बढ़ा रहा है। इसी वजह से हाल ही में भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने सिलीगुड़ी को ‘संवेदनशील’ करार दिया है।
खुफिया जानकारी के अनुसार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पिछले अगस्त में लगभग 400 तिब्बती लोगों की भर्ती के लिए चुम्बी घाटी में एक महीने तक अभियान चलाया था।
इसका उद्देश्य 18-40 आयु वर्ग के तिब्बती युवाओं को पीएलए मिलिशिया में भर्ती करना था। खुलासा इनपुट्स के अनुसार फरी द्ज़ोंग और यातुंग के नए रंगरूट को ल्हासा में एक साल तक पीएलए के प्रशिक्षण से गुजरना होगा। प्रशिक्षण के बाद उन्हें भारत-चीन सीमा पर तैनात किए जाने की संभावना है।
इससे पहले जुलाई 2021 में पीएलए ने पूर्वी लद्दाख के सामने नगारी प्रान्त के शिकान्हे क्षेत्र में एक भर्ती अभियान चलाया था। यह भर्ती अभियान पैन्गोंग झील के दक्षिणी तट पर एलएसी के भारतीय पक्ष में कैलाश रेंज की चोटियों पर भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) को नियोजित करने के बाद चलाया गया था।
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) से जुड़े सैन्य और सुरक्षा विकास पर अमेरिकी कांग्रेस को हाल ही में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2021 में भी रक्षा विभाग ने उल्लेख किया है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रहे राजनयिक और सैन्य संवादों के बावजूद पीआरसी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी निर्माण गतिविधियों को जारी रखा है।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर 4.5 किमी. दूर अपने क्षेत्र में तीन गांंव बसाए हैं। इसके अलावा सीमा से 5 किमी. दूर तवांग में नया सैन्य बुनियादी ढांचा भी खड़ा किया है। चीन द्वारा बसाए गये तीन गांवों में से एक त्सारी नदी के तट पर अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है।
इस बारे में इसी साल 19 जनवरी को एक रिपोर्ट में खुलासा किया था। चीन ने अरुणाचल सीमा पर अपने क्षेत्र में तीन गांंव बसाए हैं जहां 100 से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि यह तीनों गांव त्सारी नदी के तट पर ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है।
यह एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है, यहां सशस्त्र संघर्ष भी हुए हैं। इसके अलावा सीमा से 5 किमी. दूर तवांग में नया सैन्य बुनियादी ढांचा भी खड़ा किया है। सेटेलाइट तस्वीरों के अनुसार यह स्थान बुम ला दर्रे से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर भारत, चीन और भूटान के ट्राइजंक्शन से नजदीक है। इतना ही नहीं, इन गांवों में चीन ने लोगों को भी बसा दिया है।
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन चुम्बी घाटी में वैकल्पिक धुरी का निर्माण कर रहा है, जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन भूटानी क्षेत्र में सड़कें बनाकर अपनी गहराई बढ़ा रहा है। यहीं पर भारत के सिक्किम राज्य, भूटान और तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं।
यह घाटी भारत और भूटान के बीच रणनीतिक स्थान है जहां से पीएलए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच को चुनौती दे सकता है। पिछले साल सामने आई हाई रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज में चीन को भूटानी इलाके से होते हुए तोरसा नदी के किनारे सड़कें बनाते हुए दिखाया गया था। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर बांग्लादेश, भूटान और नेपाल की सीमा से लगा लगभग 20-22 किमी. का इलाका है।
भारतीय सेना के पूर्वी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने भी माना है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर का रणनीतिक महत्व इसलिए है क्योंकि यह पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। टीएआर की चुम्बी घाटी से निकटता होने की वजह से सिलीगुड़ी गलियारा हमारे लिए संवेदनशील है।
इस खतरे को कम करने के लिए हाल ही में सेना ने वहां काम करने वाली सभी एजेंसियों के साथ समन्वय करने एक संयुक्त समन्वय केंद्र स्थापित किया है। एलएसी के करीब चीनी ‘मॉडल गांवों’ के बारे में लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि यहां हमने अपनी परिचालन योजनाओं पर ध्यान दिया है।