नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को लक्षद्वीप प्रशासन (Lakshadweep Administration) के स्कूलों में मध्याह्न भोजन के मेनू से मांस और चिकन हटाने के फैसले को सही ठहराया।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Aniruddha Bose) और बेला एम. त्रिवेदी (Bela M. Trivedi) की पीठ मध्याह्न भोजन के मेनू में बदलाव के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई से केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) के सितंबर 2021 में इनकार के फैसले के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा…
Supreme Court ने कहा कि किसी विशेष क्षेत्र के बच्चों के लिए भोजन की पसंद तय करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया है कि उन्होंने बिना किसी कानूनी उल्लंघन का उल्लेख करते हुए केवल नीतिगत निर्णय पर सवाल उठाया था।
पिछले साल मई में शीर्ष अदालत ने एक अंतरिम निर्देश जारी किया गया था, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन को मध्याह्न भोजन में मांसाहार खाद्य पदार्थों (Non-Vegetarian Foods) को शामिल करना जारी रखने का निर्देश दिया था।
हालांकि, केन्द्र प्रदेश प्रशासन की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज लगातार अस्थायी आदेश को हटाने के लिए दबाव डाल रहे थे और कह रहे थे कि नीतिगत मामला होने के कारण मध्याह्न भोजन योजना के मेनू में बदलाव का निर्णय सरकार पर छोड़ना चाहिए।
बच्चों के पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा
उन्होंने तर्क दिया था कि मध्याह्न भोजन योजना के मेनू से मांस और चिकन को आकर्षक और आकर्षक मेवों को शामिल करना पूरी तरह सरकार के अधिकार में है।
कानून अधिकारी ने कहा कि इस तरह के संशोधन से बच्चों के पोषण संबंधी आवश्यकताओं (Nutritional Requirements) को पूरा किया जाएगा, जो मध्याह्न भोजन सोसाइटी के अनुयायियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वहीं “लक्षद्वीप में, मांस और चिकन आम तौर पर लगभग सभी परिवारों के नियमित मेनू का हिस्सा होते हैं।” दूसरी ओर, द्वीपवासियों के जंगल और स्वादिष्ट मेवों के आवास बहुत कम हैं। इसलिए, मध्याह्न भोजन के मेनू में मांस और चिकन को शामिल न करना, और फलों को शामिल करना, मध्याह्न भोजन योजना के छात्रों के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।“