मुंबई: वैश्विक संकट बन चुकी कोविड-19 महामारी ने देश के तीन-चौथाई शहरियों को आर्थिक रूप प्रभावित किया है।
इनमें से करीब आधे लोगों की आर्थिक स्थिति पिछले साल के मुकाबले बदतर है।
ब्रिटिश मार्केट रिसर्च कंपनी केनटार की एक स्टडी में यह बात सामने आई है।
इसमें कहा गया है कि लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
कंपनी ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट ‘द न्यू इंडियन कंज्यूमर’ के लिए 15 राज्यों में 10,000 से अधिक शहरी उपभोक्ताओं से बात की।
केनटार में चीफ स्ट्रैटजी ऑफिसर (साउथ एशिया) हेमंत मेहता ने कहा, ‘अधिकांश कंज्यूमर खर्च को लेकर सावधानी बरत रहे हैं।
वे खरीद के लिए डील और डिस्काउंट पर जोर दे रहे हैं।
हालांकि वे ऐसे प्रीमियम प्रोडक्ट्स पर खर्च करने को तैयार हैं जो उन्हें सुविधाजनक लगता है।’
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब ग्रॉसरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन और ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियां मौजूदा तिमाही में मजबूत ग्रोथ की उम्मीद कर रही हैं।
कंपनियों की उम्मीद है कि इन सेगमेंट्स में ग्रोथ 10 फीसदी रहेगी और मार्च तिमाही में इसमें और इजाफा होगा।
मेहता ने कहा कि पेंट अप डिमांड अब खत्म हो रही है।
एंटरटेनमेंट और सुख सुविधा की अन्य गतिविधियों से जो बचत हो रही है उसका इस्तेमाल महंगे सामान की खरीदारी में हो रहा है।
स्टडी में कहा गया है कि बाहर घूमने-फिरने और मनोरंजन की गतिविधियों के पूरी तरह पटरी पर लौटने में एक साल का समय लग सकता है।
ब्रांड लॉयल्टी अब पीछे छूट गई है और प्रोडक्ट की उपलब्धता और कीमत ज्यादा अहम हो गई है।
कंज्यूमर अपने फेवरिट ब्रांड के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार नहीं हैं।
अधिकांश खरीदारी में डिस्काउंट पर जोर है। करीब 57 फीसदी लोग अपनी खरीदारी टाल रहे हैं या छूट का फायदा उठा रहे हैं।
कोविड से पहले के दौर में यह आंकड़ा 40 फीसदी था।
यानी लोग पैसे खर्च करने में कंजूसी दिखा रहे हैं और अच्छी डील का इंतजार कर रहे हैं।