प्रकाश सिंह बादल के निधन से एक राजनीतिक युग का अंत, कांग्रेस से हुई थी सियासी सफर की असली शुरुआत

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की आयु में मंगलवार की शाम मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। भारत की सियासत में उनका कद

Central Desk
4 Min Read
4 Min Read
#image_title

चंडीगढ़ : Punjab के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) का 95 वर्ष की आयु में मंगलवार की शाम मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।

वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। भारत की सियासत में उनका कद कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार (Central government) ने उनके निधन पर जहां दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है, वहीं पंजाब सरकार (Government of Punjab) ने एक दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया है।

प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक जीवन 1947 में भारत की आजादी के तुरंत बाद शुरू हुआ था।

वह एक प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन अकाली नेता ज्ञानी करतार सिंह से प्रेरित होकर सियासत में आने का फैसला किया।प्रकाश सिंह बादल के निधन से एक राजनीतिक युग का अंत, कांग्रेस से हुई थी सियासी सफर की असली शुरुआत The end of a political era with the death of Prakash Singh Badal, the real beginning of the political journey was from the Congress

कांग्रेस के टिकट पर जीता था पहला विधानसभा चुनाव

अपने पिता रघुराज सिंह (Raghuraj Singh) के नक्शे कदम पर चलते हुए प्रकाश सिंह बादल गांव के सरपंच बने।

सियासत में यहीं से उनकी Entry हुआ और यह सफर रफ्तार पकड़ता गया। जल्द ही उन्हें लंबी ब्लॉक समिति का चेयरमैन बनने का मौका मिल गया।

दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 1957 में पंजाब विधानसभा (Punjab Legislative Assembly) का अपना पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था।

उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी उजागर सिंह को 25684 मतों से हराया था।

प्रकाश सिंह बादल के निधन से एक राजनीतिक युग का अंत, कांग्रेस से हुई थी सियासी सफर की असली शुरुआत The end of a political era with the death of Prakash Singh Badal, the real beginning of the political journey was from the Congress

1967 में मात्र 57 वोटों से मिली थी मात

ऐसा माना जा सकता है कि उनके सियासी सफर की असली शुरुआत कांग्रेस से ही हुई थी।

हालांकि अब प्रकाश सिंह बादल को उस श्रेणी के नेताओं में गिना जाता है, जो क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के पक्षधर रहे हैं।

साल 1967 में अकाली दल (संत फतेह सिंह ग्रुप) से चुनाव लड़ने पर वह मात्र 57 वोटों से हार गए थे।

हालांकि 1969 में वह शिरोमणि अकाली दल (SAD) की टिकट पर जीत गए थे।

उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार मोहिंद्र सिंह को 11207 वोटों से हराया था। इसके बाद 2022 तक उन्होंने चुनावी रण में कभी हार नहीं देखी।

सबसे युवा और बुजुर्ग CM होने का सम्मान हासिल था

प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था।

आजादी के बाद 43 साल की सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का खिताब भी उनके नाम पर ही दर्ज है।

वह 1970 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। सीएम के रूप में उनका पहला कार्यकाल सबसे छोटा था।

वह मार्च 1970 में CM बने और करीब 14 महीने तक कुर्सी पर रहे थे।

इतना ही नहीं, 2012 से 2017 तक उन्होंने 90 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया तो देश के सबसे बुजुर्ग CM होने का सम्मान भी उनके ही नाम रहा।

उन्होंने 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। वह 1979 से 1980 के बीच चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में कृषि मंत्री भी रहे।

लेकिन 1980 के बाद उन्होंने पंजाब की राजनीति में अपने पांव जमाए और केंद्र की राजनीति छोड़ दी।

Share This Article