नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर बातचीत की टेबल पर आने की अपील को एक बार फिर किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है और वह इन्हें निरस्त किए जाने को लेकर अड़े हुए हैं।
किसानों ने प्रेस वार्ता कर सरकार को अल्टीमेटम दिया कि उनकी मांग न माने जाने पर वह रेलवे ट्रैक अवरुद्ध करेंगे।
किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि आज की बैठक में निर्णय लिया गया है कि एक संयुक्त किसान मार्च निकाला जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलवीर सिंह राजावत ने कहा कि सरकार ने स्वयं ही माना है कि नए कृषि कानून व्यापारियों के लिए बने हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि राज्यों का क्षेत्र है और केंद्र को इस पर कानून बनाने की कोई अधिकार नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने हमारी 15 में से 12 मांगे मान ली हैं। इससे साफ है कि यह कानून गड़बड़ है। इन्हें खारिज करना ही पड़ेगा।
किसान संगठन अपने आगे के आंदोलन को लेकर समन्वय बना रहा है और हम आगे भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगे।
किसानों की मांग है कि तीन कृषि बिल निरस्त किए जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाकर इसे वैधानिक रूप दिया जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में किसान अपना आंदोलन जारी रखेगा।
इससे पहले केंद्र सरकार ने एक बार फिर नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों से ठोस मुद्दों पर बातचीत के लिए आगे आने की अपील की थी।
सरकार का कहना था कि अबतक उठाए गए सभी मुद्दों का समाधान किया गया है और आगे कोई नया मुद्दा आएगा तो उसका भी समाधान किया जाएगा।
दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों के मुद्दों पर प्रेस वार्ता कर उनकी चिंताओं और समाधान का जिक्र किया।
साथ ही किसानों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए किसानों से फिर से वार्ता की टेबल पर आने की अपील की थी।