न्यूज़ अरोमा हजारीबाग: हजारीबाग जिला में निजी विद्यालय चलाने वाले प्रबंधकों व हजारों शिक्षकों का भविष्य कोरोना ने संकट में डाल दिया है।
इन विद्यालयों के प्रबंधक व शिक्षक जिला के करीब 80000 से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य निर्माण करने का काम करते हैं।
लेकिन कोरोना के कारण अब खुद उनका और उनके परिवार का भविष्य अंधकार मय हो चला है।
पिछले 9 महीने से विद्यालय बंद है बच्चों के शुल्क नहीं आ रहै है।
हालांकि विद्यालय प्रबंधकों का कहना है कि सरकार के निर्देश के आलोक में वे सभी शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मियों को भुगतान कर रहे हैं। ऐसे में प्रबंधन की हालत खराब हो गई है।
साथ ही शिक्षकों की भी स्थिति दयनीय हो गई है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ट्रस्ट के बैनर तले इन 900 से अधिक विद्यालयों के प्रबंधकों ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर सरकार से सहयोग की अपील की।
अध्यक्ष विपिन कुमार ने कहा कि सरकार जल्द विद्यालय खुलवाए।
साथ ही उन्होंने शिक्षकों एवं विद्यालय प्रबंधन को आर्थिक सहयोग देने की अपील की, ताकि वे विद्यालय के किराए और वेतन का भुगतान कर सके। शिक्षकों को डीएलएड की तरह ही बीएड भी करवाया जाए।
यह भी कहा गया कि जिला में यू डाइस कोड प्राप्त विद्यालयों को संबंधन दिया जाए, ताकि ऐसे विद्यालय बच्चों का भविष्य बनाने का काम कर सकें। अब सबकुछ खुल गया है।
बाजार में भीड़ है, सड़के जाम हो रही हैं।
ऐसे में केवल विद्यालयों को बंद रखना सही नहीं प्रतीत होता। वैसे भी झारखंड में कोरोना संक्रमितों की रिक्वरी काफी अच्छी है।
यह भी कहा गया कि यदि इस दिशा में सरकार द्वारा पहल नहीं की गई तो वे सभी आंदोलन करने को विवश होंगे।
मंगलवार को ट्रस्ट के बैनर तले जिला के निजी विद्यालयों के प्रबंधक व शिक्षक शहर में मार्च निकालकर अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।
साथ ही मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपने का काम उनके द्वारा किया जाएगा।
प्रदर्शन सह मार्च स्वर्ण जयंती कैफेटेरिया से प्रारंभ होगा, जो शहर से होते हुए जिला समहारणालय में आकर समाप्त होगा।
पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष विपिन कुमार, उपाध्यक्ष छोटे लाल साव, मीडिया प्रभारी सोहेल अहमद नूर आदि उपस्थित थे।