नई दिल्ली : टूलकिट मामले की जांच में जुटी दिल्ली पुलिस एक के बाद एक खुलासे कर रही है।
दिल्ली पुलिस ने अब यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि आंदोलन की आड़ में माहौल को खराब करने का खेल बीते साल 9 दिसंबर से शुरू हुआ था।
यह खुलासा निकिता और खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के बीच चैट से हुआ है। वहीं एक अहम खुलासा यह है कि इस मामले में फरार शांतनु ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में मौजूद था।
डंप डाटा एनालिसिस में जो संदिग्ध नंबर मिले हैं, उसमें शांतनु के मोबाइल की लोकेशन दिल्ली के टीकरी बॉर्डर इलाके की मिली है।
इतना ही नहीं, तकनीकी जांच में पता चला है कि वह 20 से 27 जनवरी के बीच दिल्ली में ही मौजूद था। यहीं से उसने टूलकिट के लिए सोशल मीडिया को ऑपरेट किया था।
जांच से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक टूलकिट मामले में फरार चल रही निकिता जैकब के चैट में यह खुलासा हुआ है कि वह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन की पुनीत से किसान आंदोलन को लेकर बात कर रही है।
इसमें कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिससे यह जाहिर होता है, इस खालिस्तानी संगठन से वह पहले से जुड़ी है और किसान आंदोलन को लेकर कुछ जोर-शोर से तैयारी चल रही है।
चैट चूंकि लगातार बातचीत के क्रम (कंटीनिवेशन) में था। लिहाजा इससे जाहिर हो रहा है कि पुनीत के माध्यम से पोएटिक फाउंडेशन के साथ मिलकर सक्रिय रूप से साजिश रची जा रही थी।
पुलिस की मानें तो धालीवाल का मकसद इस आंदोलन को बड़ा बनाना और किसानों के बीच असंतोष फैलाना था।
इसलिए उसने टूलकिट के जरिये जो एक्शन प्लान बनाया था, उसे अमल में लाने के लिए उसने दिशा, निकिता, शांतनु जैसे लोगों के साथ खालिस्तानी ताकतों को लगाया था।
खालिस्तानी समर्थकों की एक बड़ी जमात जमा की गई और जिसकी मदद से टूलकिट तैयार की गई थी।
जांच में यह खुलासा हुआ है कि गत तीन फरवरी को ओनर्स राइट्स लेकर दिशा ने टूलकिट डॉक्यूमेंट्स से जुड़े अकाउंट्स और लिंक भी डिलीट कर दिए थे।
दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से टूल किट क्यों डिलीट करने को कहा था, इसका भी दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है। सूत्रों के मुताबिक डिलीट किए गए टूल किट में दिशा का नाम था।
इससे उसे यूएपीए के तहत कार्रवाई का खौफ पैदा हो गया था।
क्योंकि दिशा को पता था कि टूल किट में जो सामग्री थी वो विस्फोटक है। इसलिए उसने इसे डिलीट कराया था।