रांची: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हेमन्त सरकार ने राज्य के आदिवासी-मूलवासियों छात्रों के साथ धोखा देने का काम किया है।
यह सरकार किसान विरोधी, महिला विरोधी युवा विरोधी सरकार है।
दास ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह सरकार नौकरी देने वाली नही बल्कि नौकरी छीनने वाली सरकार है।
वोट के लिये लंबे चौड़े वायदे करने वाली सरकार ने सबको ठगा है। यह गठबंधन ठगबंधन साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि यह सरकार नई योजना तो ला नहीं सकी बल्कि लोक कल्याणकारी योजनाएं को बंद करने में यह सरकार जुटी है।
महिलाओं की एक रुपये में 50 लाख की संपत्ति रजिस्ट्री योजना, किसानों की मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना बंद कर दी गई।
रेडी टू ईट योजना को सखी मंडल की 39 हजार बहनो से छीन कर बड़े व्यवसायी को दे दी गई।
उन्होंने हाल में राज्य सरकार द्वारा रद्द की गई नियोजन नीति पर बोलते हर कहा कि हेमन्त सोरेन की सरकार एक दिग्भ्रमित सरकार है। वह एक कदम आगे बढ़ कर दो कदम पीछे हट जाती है।
वह अपने ही बने जाल में इस कदर उलझ जाती है कि उससे निकलने के लिए छटपटाने लगती है।
इसका ताजा उदाहरण नियोजन नीति की वापसी है।
दास ने कहा कि झारखंड राज्य के गठन के समय से ही यह मांग उठती रही है कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां हर हाल में झारखंडियों को ही मिले, लेकिन इस दिशा में कोई त्रुटिहीन निर्विवाद प्रयत्न नही हो सका था।
हमारी सरकार ने राज्य के 13 अधिसूचित जिलो में नियोजन के लिए एक नीति बनाई,जो 2016 में लागू हो गई।
इस नियोजन नीति के अनुसार 13 अधिसूचित जिलो में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां उन्ही जिलो के निवासियों को मिलेगी। इस दिशा में काम शुरू हुआ और नियुक्तियाँ होने लगी।
दास ने कहा कि इस तत्कालीन मंत्री अमर बाउरी जी की अध्यक्षता में कमिटी भी बनाई, ताकि शेष 11 जिलो में भी यही नियोजन नीति लागू की जा सके। यह गैर संवैधानिक भी नही है।
लेकिन हेमन्त सरकार ने झारखंड के हित मे बनी इस नीति को एक तरह से खत्म करने की योजना बनानी शुरू कर दी।
परिणाम यह हुआ कि जो भी नियुक्तियां हो चुकी थी, उसके बाद कि नियुक्तियां प्रक्रिया शिथिल कर दी गई।
दास ने कहा कि 4000 पंचायत सचिवों की नियुक्ति की प्रक्रिया पिछली सरकार में पूरी होने को थी।
उन्हें सिर्फ नियुक्ति पत्र देना था। लेकिन चुनाव आचार संहिता लगने के कारण ऐसा नहीं हो सका।
इसी तरह रेडियो ऑपरेटर, स्पेशल ब्रांच सहित अन्य विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होनी थी, हेमंत सरकार ने इसे भी रोक दिया है। जिन मामलों में प्रक्रिया पूरी हो गयी थी, उन मामलों में प्रतिभागियों को नौकरी दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री कह रहे है कि नई नियोजन नीति बहुत जल्द आएगी।
लेकिन कब तक आएगी इसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा है।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार की नीयत में खोट नही होती तो वह स्थानीय नियोजन नीति लाती।
इससे पुरानी नियोजन नीति स्वतः विलोपित हो जाती। दास ने कहा कि अच्छा होता कि पुरानी नियोजन नीति को ही लागू करने के लिए राज्य सरकार संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत एक कानून बनाती।
लेकिन वह अच्छी नीतियों,अच्छे निर्णय-कार्यक्रमो और अच्छी योजनाओ को खत्म करने पर अमादा है और ऐसा करते हुए वह अपने ही जाल में फंसती जा रही है।
ऐसी सरकार कही देखी है जो किंकर्तव्यविमूढ़ सरकार, जो सिर्फ बदले की भावना से काम कर रही है और अपने ही राज्य का बंटाधार कर रही है।
उन्होंने कहा कि महागठबंधन के वायदों का क्या हुआ सरकार को बताना चाहिये।
क्या हुआ 5000 एयर 7000 बेरोजगारी भत्ता का। साल भर में कितनी नियुक्ति हुई।
उन्होंने कहा कि लाखों प्रवासी मजदूर फिर राज्य से पलायन को मजबूर हो गए। राज्य में विधि व्यवस्था चरमरा चुकी है।
बिना चढ़ावे का कोई काम नही हो रहा।राज्य के उद्योग ,व्यवसाय बंद हो रहे। चारो तरफ भय का माहौल है। ऐसे में कोई भी राज्य में निवेश करने से घबराएगा।