चंडीगढ़: भाजपा ने आज पंजाब कांग्रेस के उस नैतिक स्वामित्व पर सवाल उठाया है, जिसमें कांग्रेस ने पंजाब के राज्यपाल द्वारा राज्य में कानून-व्यवस्था की पूरी स्थिति के पतन के मद्देनजर पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि राज्य में सार्वजनिक सेवाएं और व्यापारिक गतिविधियां उन लोगों के लिए फिरौती का माध्यम बन गया है, जो लोग सड़क मार्ग और रेल को रोकने जैसी विघटनकारी और हिंसक गतिविधियों में लिप्त हैं, संचार सेवाओं को नष्ट कर रहे हैं।
चुघ ने कहा कि यह सब किसान आंदोलन के नाम पर असामाजिक और राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा किया जा रहा है और अमरिंदर सिंह सरकार ऐसी शक्तियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने में पूरी तरह से विफल रही है।
इसके साथ ही ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है, जैसे कि राज्य में हो रही यह हुड़दंग कांग्रेस सरकार के इशारे पर की जा रही है।
इसके अलावा, चुघ ने कहा कि कांग्रेस को देश के संघीय ढांचे को लेकर बात करने अधिकार ही नहीं है, क्योंकि अतीत में कांग्रेस राज्य सरकारों में मनमाफिक ढंग से गिराकर राष्ट्र के संघीय ढांचें के टुकड़े -टुकड़े करती रही है।
चुघ ने कहा कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने वर्ष 1964 से लेकर वर्ष 2014 तक कम से कम 41 बार रातों -रात प्रांतीय सरकारों को तोड़ा है।
चुघ ने कहा, “राज्यपाल ने अपने संवैधानिक अधिकारों के भीतर ही राज्य में जारी अराजकता को देखते हुए अमरिंदर सिंह सरकार के प्रशासनिक और पुलिस प्रमुखों को तलब किया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में लोकतंत्र कांग्रेस सरकार के हाथों में थर्रा गया है, क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर बार-बार हमला किया जा रहा था और पार्टी नेताओं की आवाज को दबाने के लिए भाजपा कार्यालयों में आग लगा दी गई थी।
“क्या यह लोकतंत्र है?” चुघ ने हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि पीसीसी अध्यक्ष को कांग्रेस सरकार को अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में राज्यपाल के औचित्य पर सवाल उठाने की बजाय इस दिशा में कार्य करने के लिए अपील करनी चाहिए।