किसानों का मुद्दा लोगों में अधिक चिंता का विषय नहीं : सर्वे

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नई दिल्ली: आईएएनएस सी-वोटर ने राज्यों के सर्वेक्षण के साथ बड़े पैमाने पर जनता से संबंधित राष्ट्रीय मुद्दों की संभावना के बारे में उनकी राय के आश्चर्यजनक पैटर्न को उजागर किया है।

बीते दो महीने से किसानों का मुद्दा राजनीतिक और सार्वजनिक क्षेत्र में एक ज्वलंत विषय बना हुआ हैं, लेकिन यह राष्ट्रीय मुद्दों के सार्वजनिक विमर्श में अलोकप्रिय है।

सर्वेक्षण से पता चला कि देश के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में रहने वाली आबादी के बीच किसानों के मुद्दे सबसे कम परेशान करने वाले कारक हैं। मात्र 0.57 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इसे राष्ट्र के सामने सबसे महत्वपूर्ण समस्या के रूप में बताया।

हालांकि, इस मुद्दे ने तमिलनाडु में जनता की भावनाओं को जरूर झकझोरा है, क्योंकि 25 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने इसे सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा माना।

सर्वेक्षण में पांच राज्यों को शामिल किया गया था, जिनमें पुड्डुचेरी, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम के 45,000 से अधिक उत्तरदाताओं के जवाब सामने आए।

सर्वेक्षण के अनुसार, लोगों को बेरोजगारी के बारे में सबसे अधिक चिंतित पाया गया, इसके बाद वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से वे परेशान हैं। हैरानी की बात तो यह है कोविड-19 महामारी, जिसने पूरी दुनिया को अपने घुटनों पर झुकने के लिए मजबूर किया, वह भी लोगों के लिए ज्यादा चिंता का विषय नहीं है।

हालांकि, यह केरल में राष्ट्रीय मुद्दों के चार्ट में सबसे ऊपर है, क्योंकि 24 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने इसे सबसे अधिक चिंता का विषय के रूप में चुना, जिसका खुलासा सर्वेक्षण में हुआ।

सर्वेक्षण से संकेत मिला कि पश्चिम बंगाल में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। राज्य में बेरोजगारी के बारे में 26.86 प्रतिशत उत्तरदाताओं को सबसे अधिक चिंतित पाया गया।

पुड्डुचेरी में लोगों ने स्थानीय मुद्दों को सबसे अधिक बड़े कारक के रूप में चुना। वहीं 26 प्रतिशत के करीब उत्तरदाताओं ने इसे अपने सबसे महत्वपूर्ण चिंता के रूप में चुना।