झारखंड हाईकोर्ट ने रद्द किया DDC का आदेश

हरिहर प्रसाद ने DDC के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 15 अप्रैल 2004 को उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे, और 6 अक्तूबर 2005 को सजा के तौर पर उनकी दो साल की वेतन वृद्धि रोक दी गई थी। हरिहर ने कोर्ट में कहा कि उन्हें सजा तो दी गई, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं दिखाई गई और न ही उनसे दूसरी बार कोई स्पष्टीकरण मांगा गया। यह नैसर्गिक न्याय के नियमों के खिलाफ है।

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The Jharkhand High Court has set aside the order passed by the DC Here’s a breakdown : झारखंड हाईकोर्ट ने दुमका के उप विकास आयुक्त (DDC) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें हरिहर प्रसाद मंडल की दो साल की वेतन वृद्धि रोकने का फैसला लिया गया था। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि हरिहर प्रसाद को उनका सारा बकाया लाभ जल्द से जल्द दिया जाए।

हरिहर प्रसाद ने DDC के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 15 अप्रैल 2004 को उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे, और 6 अक्तूबर 2005 को सजा के तौर पर उनकी दो साल की वेतन वृद्धि रोक दी गई थी। हरिहर ने कोर्ट में कहा कि उन्हें सजा तो दी गई, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं दिखाई गई और न ही उनसे दूसरी बार कोई स्पष्टीकरण मांगा गया। यह नैसर्गिक न्याय के नियमों के खिलाफ है।

हाईकोर्ट ने उनकी याचिका सही मानते हुए डीडीसी के आदेश को रद्द कर दिया और बकाया लाभ देने का आदेश दिया।

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