रांची: एकीकृत पारा शिक्षक शिक्षक ने एक बार फिर से आंदोलन करने का मूड बनाया है। पिछले दिनों शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के आश्वासन के बाद राज्य के पारा शिक्षकों ने 10 फरवरी को प्रस्तावित मुख्यमंत्री आवास के घेराव का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था।
साथ ही मंत्री ने ये भी भरोसा दिलाया था कि उनके लौटते ही पारा शिक्षकों का काम सर्वप्रथम करेंगे। लेकिन एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा स्थायीकरण और वेतनमान की मांग साथ ही उसे जल्द से जल्द लागू करने को लेकर विधानसभा का घेराव का फैसला लिया है।
उन्होंने बताया है की कार्यक्रम 5 दिनों का होगा जिसमें 4 से 5 जिले के पारा शिक्षक साथी प्रतिदिन शामिल होंगे (राज्य इकाई जल्द हीं इसका शिड्यूल जारी करेगी)।
पारा शिक्षकों का कहां है कि हमारे कार्य में सरकार शिथिलता दिखा रही है, वैसी स्थिति में ये अत्यावश्यक है कि हम आंदोलनात्मक गतिविधियों में जाएं। उन्होंने राज्य के तमाम पारा शिक्षकों से निवेदन किया है की आप आगामी कार्यक्रम की तैयारी में लग जाएं। आंदोलन को धार देने के लिए 21 फरवरी को जिला इकाई की बैठक बुलाई गई है।
इस बैठक में बिनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार, नरोत्तम सिंह मुंडा, दशरथ ठाकुर, मोहन मंडल, प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) शामिल हुए।
विधायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा था पत्र
मांडर से विधायक एवं राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने पारा शिक्षकों की मांगों का समर्थन किया है। विधायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पारा शिक्षकों के स्थायीकरण, वेतनमान और नियामावली में आ रही दिक्कतों को दूर करने का आग्रह किया था।
पत्र में उन्होने लिखा है कि, राज्य में करीब 65 हज़ार पारा शिक्षक हैं। 17 से 18 साल सेवा देने के बाद पारा शिक्षक स्थायीकरण को लेकर आंदोलनरत हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान यूपीए के सभी घटक दलों ने पारा शिक्षकों के स्थायीकरण का वादा किया था।
इस बार वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे
पारा शिक्षकों के नेता का आरोप है कि, पूर्व की सभी सरकार ने उन्हे छला है। लिहाज़ा, इस बार वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। पूर्व की रघुवर दास की सरकार के समय में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया गया।
विभागीय मंत्री नीरा यादव के साथ कई दौर की वार्ता भी हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ने चुनाव के दौरान पारा शिक्षकों की समस्या दूर करने का वादा किया था। सरकार गठन के एक साल बाद भी पारा शिक्षकों की समस्याओं का निदान नहीं हुआ है। लिहाज़ा, पारा शिक्षक एकबार फिर से आंदोलनरत हैं।
बता दें कि स्थायीकरण और वेतनमान समेत अन्य मांगों को लेकर 17 जनवरी को सत्ता पक्ष के विधायकों और 24 जनवरी को मंत्रियों के आवास के बाहर धरना भी दिया था।
साथ ही पारा शिक्षकों की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी वार्ता हुई थी। उन्होंने पारा शिक्षकों से कुछ मांगा था, कहा था कि आप सभी कुछ समय दें आपकी सभी समस्याओं का निदान होगा।
लेकिन पारा शिक्षकों का कहना हैं की सरकार केवल बोलने का काम कर रही है ,वास्तव में कुछ हो नही रहा है। न ही अभी तक हम में से किसी को सरकार का बुलावा आया है।
उन्होंने कहा कि सूबे के 65 हजार पारा शिक्षकों का स्थायीकरण करते हुए वेतनमान देने की मुख्यमंत्री की घोषणा अबतक धरातल पर नहीं उतरना पारा शिक्षकों के साथ विश्वासघात है।