नई दिल्ली: राज्यसभा ने देश के प्रमुख बंदरगाहों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (सार्वजनिक –निजी भागीदारी) के तहत संचालित करने तथा उन्हें और अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए महापत्तन प्राधिकरण विधेयक-2020 को पारित कर दिया।
बुधवार को इस विधेयक पर हुई चर्चा के बाद इसे सदन की मंजूरी मिल गई।
जहाजरानी मंत्री मनसुख मांडविया ने विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इससे बंदरगाहों के संचालन में विशेषज्ञता आएगी तथा बंदरगाह के समीप के शहरों का और विकास होगा वे समृद्ध होंगे।
चर्चा के दौरान सदस्यों द्वारा बंदरगाहों के निजीकरण की आशंका को खारिज करते हुए मांडविया ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य सरकार के नियंत्रण में चल रहे बंदरगाहों की कार्यप्रणाली में सुधार करना है।
इससे ये बंदरगाह निजी बंदरगाहों के बराबर हो जाएंगे और उनके साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। इस कानून के बाद सरकारी बंदरगाह भी अधिक उपयोगी निर्णय ले सकेंगे।
इससे पूर्व राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने चर्चा में भाग लेते हुए सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि विधेयक को पढ़ते ही पता चल जाता है कि इसके पीछे कौन है। यह बहुत ही पारदर्शी सरकार है।
समाजवादी पार्टी के प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य देश के बंदरगाहों को निजी हाथों में सौंपने का है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि इन्हें बेचने से पहले इनकी सही कीमत पता कर ली जाए, ना कि इन्हें कौड़ियों के भाव बेचा जाए।