पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सरकार गठन को लेकर सीएम हाउस में शुक्रवार को बुलायी गई बैठक में कुछ मुद्दे सुलझ नहीं सके । इसके कारण 15 नवम्बर को फिर बैठक होगी। चारों दलों के प्रमुख नेताओं ने इस बैठक में भाग लिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी और वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी बैठक में शामिल हुए।
अन्दरखाने से खबर आ रही है कि भाजपा की नजर इस बार विधानसभा अध्यक्ष के पद पर है।
सूत्रों के अनुसार सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा इस बार विधानसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखना चाहती है क्योंकि सरकार को स्थिर रखने में इस बार विधानसभा अध्यक्ष की बड़ी भूमिका रहेगी।
विधानसभा अध्यक्ष को लेकर अंदरखाने यह चर्चा तेज है कि अगर भाजपा विधानसभा अध्यक्ष का पद रख लेती है, तो इस बार पार्टी लंबे समय से महत्वपूर्ण विभाग देख रहे मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष बनाएगी।
भाजपा शिक्षा विभाग भी चाहती है। इसके लिए उस पर विचार परिवार का दवाब है। जबसे बिहार में एनडीए की सरकार बनी है, तब से शिक्षा विभाग जदयू के पास ही रहा है।
दूसरी ओर महत्वपूर्ण बात यह है कि वैश्विक पटल पर अगर एनडीए सरकार के किसी विभाग की किरकिरी हुई तो वह है शिक्षा विभाग। चाहे वह मैट्रिक परीक्षा, टॉपर घोटाला, उच्च शिक्षा का गिरता स्तर तथा स्नातक में 3 के बदले 5 वर्ष में डिग्री को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हो रही है।
इसलिए भाजपा के मातृसंगठन के द्वारा विद्या भारती, शैक्षिक जागरण मंच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रवादी शैक्षिक मंच तथा शिक्षा संस्कृति न्यास जैसे संगठनों की आकांक्षा के अनुरूप बिहार में अब तक शिक्षा के क्षेत्र में काम नहीं हो सका है। साथ ही नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर तक पहुंचाना भी एक कारण है।
इसलिए विचार परिवार की मेहनत को ध्यान में रखकर भाजपा शिक्षा विभाग अपने पास रखना चाहती है।
यह भी चर्चा है कि भाजपा इस बार गृह विभाग अपने पास रखना चाहती है। इसके बदले भाजपा वित्त विभाग छोड़ सकती है। बहरहाल, गृह व वित्त से ज्यादा महत्वपूर्ण विधानसभा अध्यक्ष व शिक्षा विभाग को लेकर मामला फंसा हुआ है।