लखनऊ: देश के सबसे बड़े (Big State) राज्य उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद अंतर्गत सैफई गांव में 22 नवम्बर 1939 को मुलायम सिंह यादव का (Mulayam Singh Yadav) जन्म हुआ।
किसी ने भी उस वक्त नहीं सोचा होगा कि किसान के घर जन्मा यह बालक एक दिन देश की राजनीति में (Politics) ऐसा मुकाम हासिल करेगा कि लोग उसे ‘नेताजी’ व ‘धरती पुत्र’ मुलायम सिंह के नाम से पुकारेंगे।
राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए
सैफई में 82 वर्ष पूर्व किसान सुघर सिंह यादव के घर जन्मे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) किशोराव्यस्था से ही राजनीति के क्षेत्र में (Politics Area) सक्रिय हो गए थे।
समाजवादी सिद्धांतों को (Socialist Principles) लेकर एक आंदोलन में हिस्सा लेते हुए सन् 1954 में महज 15 साल की उम्र में मुलायम को गिरफ्तार (Arrested) कर लिया गया।
वापस लौटने मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) की राजनीति में दिलचस्पी बढ़ती गई और वह समाजवाद के सिद्धांतों से प्रेरित होकर डॉ राम मनोहर लोहिया की रैलियों में हिस्सा लेने लगे।
इंटर कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाने लगे
हालांकि इस बीच उन्होंने बीए करने के बाद शिकोहाबाद कॉलेज से बैचलर ऑफ टीचिंग का कोर्स किया और 1965 में करहल के जैन इंटर कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाने लगे।
उनकी मास्टरी के साथ-साथ राजनीतिक में बढ़ती सक्रियता कम नहीं हुई। इसके चलते गांव में उन्हें लोग ‘मास्टरजी’ (Masterji) और ‘नेताजी’ (Netaji) कहकर बुलाया करते थे।
आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह यादव 19 महीने तक जेल में रहे
1967 में विधानसभा के चुनाव में मैनपुरी के जसवंत नगर से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने पर्चा दाखिल किया। वह पहली ही बार में विधायक चुन लिए गए।
इसके बाद उन्होंने राजनीति सफर में कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। आपातकाल के (Emargency) दौरान मुलायम सिंह यादव 19 महीने तक जेल में रहे।
पहली बार वह 1977 में राज्य मंत्री बनाये गए। 1980 में वह लोकदल के अध्यक्ष बने। 1985 के बाद मुलायम ने क्रांतिकारी मोर्चा बनाया।
मुलायम सिंह यादव की पार्टी की सरकार नहीं बनी
सैफई से निकले मुलायम सिंह यादव का राजनीति में लगातार कद बढ़ता गया। वह पांच दिसंबर 1989 को पहली बार उप्र के CM बने।
1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव ने (Mulayam Singh Yadav) चंद्रशेखर के जनता दल (Socialist) से जुड़े और CM बने रहे।
इसमें कांग्रेस का समर्थन भी शामिल था। 1991 में कांग्रेस का समर्थन वापस लेने से मुलायम सरकार गिर गई। वह 24 जनवरी 1991 तक प्रदेश की कमान संभाल सके। 1991 में बीच में ही चुनाव हुए लेकिन मुलायम सिंह यादव की पार्टी की सरकार नहीं बनी।
सात साल तक वापसी नहीं कर सके
इसके बाद चार अक्टूबर 1992 में मुलायम सिंह यादव ने (Samajwadi Party ) का गठन किया। 1993 में बसपा के समर्थन से एक बार फिर मुलायम ने सत्ता में वापसी की और पांच दिसंबर 1993 से तीन जून 1996 तकCM रहे।
इसके बाद मुलायम सिंह यादव उप्र (Mulayam Singh Yadav) की सत्ता में करीब सात साल तक वापसी नहीं कर सके। हालांकि प्रदेश की सियासत में उनका दखल बना रहा और इस बीच वह केन्द्र की सरकार तक अपनी पकड़ बनाने में कामयाब हुए।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते हुए सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया के रुप में जनसेवा की
राजनीतिक कामयाबी के चलते 1996 से 1998 तक वह देश के रक्षामंत्री रहे। सियासी रणनीति में माहिर मुलायम सिंह यादव तीसरी बार 2003 में उप्र की सत्ता में लौटे और CM बने।
इस बार 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तकCM की कुर्सी संभालते हुए सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया के रुप में जनसेवा की।
2012 में मुलायम सिंह यादव की पार्टी फिर सत्ता में लौटी, लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया और सक्रिय राजनीति से थोड़ी दूरी बना ली।
ICU में जीवन रक्षक प्रणाली में रखते हुए इलाज किया
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) संरक्षक मुलायम सिंह यादव को 22 अगस्त को अचानक तबीयत बिगड़ने पर हरियाणा प्रांत के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में (Medanta Hospital) भर्ती कराया गया था।
जहां एक अक्टूबर की रात को उन्हें हालात नाजुक होने पर ICU में जीवन रक्षक प्रणाली में रखते हुए इलाज किया जा रहा था। पिता की खराब सेहत को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार अस्पताल में ही बने रहे।
उनके साथ डिम्पल यादव, भाई शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, सहित परिवार के कई सदस्य अस्पताल में नेताजी के स्वास्थ्य को देखते हुए हालचाल लेते रहे।
देशभर में उनके शुभचिंतकों द्वारा हवन-पूजन के साथ लम्बी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य की कामना होने लगी लेकिन नियति के आगे फर्श से राजनीति के अर्श पर पहुंचने वाला ‘धरतीपुत्र’ मुलायम सिंह यादव का (Mulayam Singh Yadav) सूरज आज चिरनिद्रा में लीन हो गया।
उन्होंने 82 वर्ष की आयु में सोमवार को करीब सुबह 8.16 पर मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर का सैफई में अंतिम संस्कार किया जाएगा।