रांची: राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) ने कहा कि नई शिक्षा नीति (Education Policy) से देश की शिक्षा को एक नई दिशा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता (Freedom) प्राप्ति के बाद पहली बार देश की प्रकृति, संस्कृति और विकास को ध्यान में रखते हुए ऐसी शिक्षा नीति बनी है, जिसके लागू होने से भारत वैश्विक पटल (India Global Platform) पर ‘ज्ञान की महाशक्ति’ (Super Power of Knowledge) बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा। यह मैकाले की शिक्षा नीति से बिल्कुल अलग है।
बैस बुधवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (Education Culture Upliftment Trust), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (Institute of Technology) एवं झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Jharkhand Technological University) के संयुक्त तत्वावधान में झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सभागार में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं क्रियान्वयन” (National Education Policy and Implementation) विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया (Social Process) है।
इससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार परिष्कृत होता है। शिक्षा से ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक (Eligible Citizens) बनाया जाता है।
मातृभाषा का विशेष ध्यान
बैस (Bais) ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा के सैद्धांतिक पक्षों (Theoretical Aspects) से अधिक व्यावहारिक पक्षों (Practical Aspects) पर बल दिया गया है।
इसमें मातृभाषा (Mother toungue) का विशेष ध्यान रखा गया है। शोधों ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि मातृभाषा में ही प्राथमिक शिक्षा सर्वाधिक वैज्ञानिक (Scientific) पद्धति है।
नई शिक्षा नीति में हमारे विद्यार्थी भाषायी कारणों से ज्ञान प्राप्त करने में पीछे नहीं रहेंगे। देश में भाषायी विविधता के कारण मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना एक सराहनीय कदम है।
उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति से देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा (School and Higher Education) में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है।
इसके उद्देश्यों के तहत वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा (School Education) में 100 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के साथ-साथ प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकता (Universality) का लक्ष्य रखा गया है।
नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र और राज्य सरकार (State government) के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर GDP के छह प्रतिशत हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य भी रखा गया है।