रांची: रांची के मोरहाबादी मैदान (Moharabadi Maidan) में 28 दिसंबर से चल रहा राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव (National Khadi & Saras Festival) का समापन रविवार को हो गया।
समापन समारोह में राज्यपाल (Governor) रमेश बैस ने कहा कि झारखंड खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड (Jharkhand Khadi and Village Industries Board) एवं ग्रामीण विकास विभाग और सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस राष्ट्रीय महोत्सव (National Festival) के समापन समारोह में आकर प्रसन्नता हुई है।
Governor ने कहा कि खादी ने भारत के ग्राम आधारित रोजगार और स्वदेशी की भारतीय कल्पना को नया आयाम दिया है। खादी कारीगरों को सतत रोजगार उपलब्ध कराने में विश्वास रखती है।
राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के हर पहलुओं को समेटे उनकी तस्वीरों के माध्यम से उनके जीवन पर आधारित गांधी संग्रहालय बनाया गया है।
यह संग्रहालय महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के विचार और उनका खादी के प्रति लगाव को दिखाता है।
महोत्सव में खादी आधारित बापू के सिद्धांत एवं उद्देश्य के अनुरूप स्वरोजगार एवं स्वावलंबन तथा ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण झलकती है। यह महोत्सव देशभर के बुनकरों, कारीगरों एवं हस्तशिल्पियों के उत्पाद को मंच प्रदान करता है।
खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक भी बनी
उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि स्वदेशी, स्वराज, सत्याग्रह के साथ चरखे और खादी ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में कितनी अहम भूमिका निभायी है।
खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक भी बनी। खादी का एक-एक धागा आजादी के आंदोलन की ताकत बना था, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद भारत की नींव रखी।
आज विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए खादी का एक-एक धागा प्रेरणास्रोत (Source of Inspiration) बन सकता है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकता है।
खादी केवल वस्त्र या एक उत्पाद नहीं है बल्कि एक विचार है, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दिया है। इसमें कुटीर उद्योग के जरिए स्वावलंबन व रोजगार खड़ा करने का बड़ा उद्देश्य समाहित है।
खादी के जरिये ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले अधिक-से-अधिक लोगों को स्वावलंबी बनाया जा सकता है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, उद्योग विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग को समन्वय स्थापित कर इस दिशा में कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा विकास से वंचित रह गया है और आज भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहा है।
ऐसे लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करना देश के सामने एक बड़ी चुनौती है और इस चुनौती का उचित माध्य म महात्मा गांधी का विकास मॉडल ‘खादी और ग्राम उद्योग’ हो सकता है। खाड़ी में करोड़ों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए खादी का और व्यापक प्रचार-प्रसार करें।
खादी के रोजगार से बेरोजगारों एवं गरीबों को जोड़ने के लिए उन्हें ऋण सुलभ कराने के लिए अपने स्तर से सदैव प्रयासरत रहें। उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण सुलभ करायें और उनके लिए एक अच्छा बाजार उपलब्ध हो।