नई दिल्ली: 42 वर्षीय रमेश सिंह के चेहरे पर उस वक्त मायूसी छा गई जब छह माह के इंतजार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें साल 2025 के बाद आकर अपने दिल का ऑपरेशन कराने की सलाह दी।
पहले तो रमेश को डॉक्टर की बात समझ नहीं आई, लेकिन दोबारा पूछने पर डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह दिल्ली एम्स है। 2025 से पहले यहां कोई डेट नहीं है।
अगर इलाज कराना है तो किसी प्राइवेट या दूसरे किसी सरकारी अस्पताल जा सकते हैं।
यह मामला बीते सोमवार का है, जब बलिया निवासी रमेश छह महीने में तीन बार ओपीडी में दिखाने के बाद चौथी बार ऑपरेशन की डेट लेने के लिए पहुंचे थे।
ठीक इसी तरह का मामला सरिता विहार स्थित सिद्घार्थ दुबे के साथ हुआ।
उनके पिता को ब्रेन ट्यूमर है और कई बार ओपीडी में दिखाने के बाद डॉक्टर ने उन्हें 1.20 लाख रुपये एम्स के काउंटर पर जमा करने की सलाह दी। साथ ही कहा है कि चार यूनिट ब्लड की जरूरत भी होगी।
वह ऑपरेशन से पहले जमा करा देना, लेकिन उसके बाद डॉक्टर ने जो कहा सिद्घार्थ की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
उन्होंने कहा कि इस वक्त बिस्तर नहीं है। मरीज के दिमाग में खून का थक्का जमा है।
ऑपरेशन तत्काल करना जरूरी है, लेकिन भर्ती करने के लिए बिस्तर नहीं है। सलाह दी कि वह दूसरे अस्पताल में जा सकते हैं।
इनके अलावा बीते मंगलवार को एम्स के आपातकालीन विभाग में मौजूद चंद्र सिंह यादव ने अपने पिता के लिए बेड नहीं मिलने की वजह से डॉक्टरों को एक कागज पर लिख कर दिया कि वह अपने मरीज को दूसरे अस्पताल लेकर जा रहे हैं। यहां बिस्तर खाली नहीं है।
दूसरे अस्पताल में रेफर कर रहे मरीज
हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि रैफरल अस्पताल होने के बाद भी एम्स मरीजों को अब दूसरे सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भेजने लगा है, जबकि कागजों पर तीमारदार की स्वेच्छानुसार ऐसा किए जाने की जानकारी दी जा रही है।
खुद का बचाव करने के लिए डॉक्टर तीमारदारों से लिखित पत्र लिखवाकर मरीजों को दूसरे अस्पताल में रेफर कर रहे हैं।
मरीजों की इस लंबी वेटिंग से परेशान एम्स के डॉक्टर सोशल मीडिया पर सरकारों को टैग कर इस समस्या का समाधान भी मांग रहे हैं।
राज्य स्वास्थ्य मंत्री बोले, एक महीने से ज्यादा की वेटिंग नहीं
उधर, राज्यसभा में केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एम्स में लंबी वेटिंग को लेकर कहा कि इस वक्त एक महीने से अधिक की वेटिंग नहीं है।
मरीजों की अधिक संख्या होने के बावजूद एम्स में रोजाना 80 फीसदी अप्वाइंटमेंट ओपीडी के लिए दिए जा रहे हैं।
ज्यादातर विभागों की ओपीडी में वेटिंग नहीं है।