रांची: झारखंड सशस्त्र पुलिस बल (जैप वन) के 141 वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन डोरंडा स्थित जैप परिसर में किया गया।
मौके पर मुख्य अतिथि झारखंड राज्य गृह रक्षा वाहिनी के महानिदेशक नीरज सिन्हा ने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवमयी और इतिहास भरा रहा है।
यहां के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देकर जैप वन का नाम बुलंद और रोशन किया है।
कार्यक्रम के दौरान जैप के जवानों ने परेड का भी प्रदर्शन किया। सिन्हा ने कहा कि जैप के जवानों ने झारखंड की सुरक्षा में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
जैप जवान अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। जवानों ने कई नक्सलियों को भी मार गिराया है और जैप के जवान नक्सल अभियान में लगे हुए हैं।
इस अवसर पर डीजीपी एमवी राव ने जैप-1 की सराहना की।
मौके पर जैप के कमांडेंट अनीश गुप्ता ने कहा कि जैप वन का इतिहास प्रेरक रहा है।
यहां के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देकर जैप वन का नाम रोशन किया है। उल्लेखनीय है कि स्थापना दिवस के अवसर पर जैप वन परिसर में आनंद मेले का भी आयोजन होता था।
लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से इस बार स्थापन दिवस पर आनंद मेला का आयोजन नही किया गया है।
कार्यक्रम में राज्य के एडीजी, आईजी, डीआईजी, एसएसपी, एसपी सहित अन्य वरीय अधिकारी और जवान मौजूद थे।
क्या है जैप का इतिहास
जनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी। वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया।
इस वाहिनी की टुकड़ियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल एवं ओड़िशा को मिलाकर की जाती रही।
वर्ष 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया।
राज्य के अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में मिलाया गया।
देश में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था।
वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही, जिसमें वर्ष 1902 से 1911 तक देहली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, 1917 में मयूरभंज, मध्य प्रदेश, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-काश्मीर, 1956 में असम (नागालैंड), 1962 में चकरौता (देहरादून), 1963 में नेफा, 1968-69 में नेफा के प्रशिक्षण केंद्र हाफलौंग असम आदि शामिल हैं।
यहां तक कि वर्ष 1971 में भारत पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यो के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था।
उस वक्त साहसपूर्ण कार्यो के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से अलंकृत किया था। वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गयी, जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था। वर्ष 2000 में झारखंड अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन (जैप वन) रखा गया था। वर्ष 2004 व 2011 में इस वाहिनी के बिगुलर व बैंड पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया था।