छोटे नाम पर ED की नजर, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा बड़ी मछलियों पर चुप्पी क्यों?

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, “कोई बड़ा आदमी नहीं। मुख्य लोग गिरफ्तार नहीं किए गए हैं। छोटी मछलियों के पीछे ही क्यों पड़ना? क्या आपको उन पर कार्रवाई से डर लगता है?” अदालत ने यह भी पूछा कि बाकी 11 आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई।

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Supreme Court questioned the ED : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ‘भूमि के बदले नौकरी’ घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी और व्यवसायी अमित कत्याल की जमानत रद्द करने की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने साफ कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।

पीठ ने ED पर उठाए सवाल

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, “कोई बड़ा आदमी नहीं। मुख्य लोग गिरफ्तार नहीं किए गए हैं। छोटी मछलियों के पीछे ही क्यों पड़ना? क्या आपको उन पर कार्रवाई से डर लगता है?” अदालत ने यह भी पूछा कि बाकी 11 आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई।

ईडी की दलील खारिज

ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने तर्क दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला कानूनी रूप से गलत है और उसे खारिज किया जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया।

हाईकोर्ट पहले ही कर चुका था निंदा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 सितंबर 2023 को अमित कत्याल को जमानत दी थी और ईडी की कार्रवाई को “चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने वाली नीति” बताते हुए आलोचना की थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जांच एजेंसियों को निष्पक्ष ढंग से काम करना चाहिए।

लालू यादव के रेल मंत्री काल की नियुक्तियों से जुड़ा है मामला

यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान पश्चिम मध्य रेलवे के ग्रुप डी पदों पर की गई भर्तियों के बदले लालू यादव के परिवार और सहयोगियों के नाम पर भूखंडों का लेन-देन हुआ। जांच एजेंसियों के अनुसार, इनमें से कुछ ज़मीनें उपहार के रूप में दी गईं, जबकि कुछ का हस्तांतरण हुआ।

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