नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) के गवाहों से उत्तर प्रदेश (UP) में मोटर दावा न्यायाधिकरण के समक्ष अपना पक्ष हिंदी में रखने की अपेक्षा की जाती है, क्योंकि हिंदी “राष्ट्रीय भाषा” (National language) है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता (Deepankar Dutta) की पीठ एक वाहन मालिक द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उत्तर प्रदेश (UP) के फतेहगढ़ में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal) के समक्ष लंबित दावा याचिका को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
दार्जिलिंग में हुई थी दुर्घटना
यह तर्क दिया गया कि दुर्घटना दार्जिलिंग (Darjeeling) जिले के सिलीगुड़ी में हुई थी। इसलिए, दार्जिलिंग में MACT के लिए दावा याचिका पर निर्णय लेना समीचीन होगा। साथ ही, यह भी कहा गया कि चूंकि याचिकाकर्ता (अपराधी वाहन के मालिक) के सभी गवाह सिलीगुड़ी से हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश में हिंदी भाषा दावा प्रक्रिया में बाधा बन सकती है।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने नागरिक प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure), 1908 की धारा 25 के तहत दायर स्थानांतरण याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यदि मामला सिलीगुड़ी (Siliguri) में स्थानांतरित किया जाता है, तो दावेदार “गंभीर रूप से पूर्वाग्रहग्रस्त” होंगे और बांग्ला में अपना पक्ष व्यक्त करने की स्थिति में नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा…
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, “भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोग अलग-अलग भाषाएं (Different Languages) बोलते हैं। यहां कम से कम 22 आधिकारिक भाषाएं हैं।
हालांकि, हिंदी राष्ट्रीय भाषा है। इसलिए, याचिकाकर्ता (वाहन मालिक) द्वारा पेश किए जाने वाले गवाहों से यह अपेक्षा की जाती है कि… हिंदी में संवाद करें और अपना पक्ष रखें।”
वर्तमान में, कानून यह प्रावधान करता है कि दावेदार मुआवजे के लिए उस स्थान पर आवेदन दायर कर सकते हैं जहां दुर्घटना हुई है या ऐसे स्थान पर जहां दावेदार रहते हैं या व्यवसाय करते हैं या प्रतिवादी रहता है।